उस भगवन ने तो सिर्फ हमें धरती पर भेज दिया लेकिन धरती से परिचित करना, उस भगवन का परिचय करने के लिए एक और भगवन को धरती पर भेजा जिस को बार बार अवतार लेने की ज़रुरत नहीं है, ये भगवन एक मामूली इन्सान के अन्दर छुपे होते है, ये बिना,किसी चढ़ावे के सबकी मनोकामना पूरी करते है कुछ भी जो उनके अधिकार में निहित है ।
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उस भगवन ने तो सिर्फ हमें धरती पर भेज दिया लेकिन धरती से परिचित करना, उस भगवन का परिचय करने के लिए एक और भगवन को धरती पर भेजा जिस को बार बार अवतार लेने की ज़रुरत नहीं है, ये भगवन एक मामूली इन्सान के अन्दर छुपे होते है, ये बिना, किसी चढ़ावे के सबकी मनोकामना पूरी करते है कुछ भी जो उनके अधिकार में निहित है ।
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विशेषांक की अतिथि सम्पादक सुशीला टाकभौरे ने इन अंको को तैयार करने से जुड़े अपने अनुभव बांटे और कहा कि “इस दोनो विशेषांको का उद्धेश्य है इन जातियो में चेतना उत्पन्न करना, गुलामी का एहसास कराना, ब्राह्मणबाद से सावधान होना, मानव गरिमा और स्वाभिमान का एहसास कराना, दलित जातियों मे एकता लाना तथा वाल्मिकी एवम सभी सफाई कर्मी जातियों किई समस्याओ से समाज को परिचित करना ताकी उनकी मानसिकता बदले /
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विशेषांक की अतिथि सम्पादक सुशीला टाकभौरे ने इन अंको को तैयार करने से जुड़े अपने अनुभव बांटे और कहा कि ” इस दोनो विशेषांको का उद्धेश्य है इन जातियो में चेतना उत्पन्न करना, गुलामी का एहसास कराना, ब्राह्मणबाद से सावधान होना, मानव गरिमा और स्वाभिमान का एहसास कराना, दलित जातियों मे एकता लाना तथा वाल्मिकी एवम सभी सफाई कर्मी जातियों किई समस्याओ से समाज को परिचित करना ताकी उनकी मानसिकता बदले /
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मनोरोग और स्नायविक दृष्टिकोण पर विशेष रूप में-आप परिचित रणनीतियों, विधियों, और उपकरणों विभिन्न नैदानिक अनुसंधान डिजाइन में इस्तेमाल किया, तो आप कौशल के साथ प्रदान कार्यक्रम के लिए आप समकालीन संगीत थेरेपी संगीत और मनोचिकित्सा अनुसंधान, सिद्धांत और नैदानिक अभ्यास के मुख्य क्षेत्रों के साथ परिचित करना डिजाइन, निष्पादन और रिपोर्टिंग की जांच करने के लिए की जरूरत है, और तुम ज्ञान और पीएचडी की पढ़ाई के लिए आवश्यक कौशल के साथ की आपूर्ति.
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में ही उसके बच्चे की मृत्यु हो जाती और पांडव वंश का भी नाश हो जाता),यहाँ देखना ये है की हमें सिखाना क्या है, बुराई दिखा कर हमें लोगो को उससे सावधान करना है उससे जुडी परेशानिया और हानियों से लोगो को परिचित करना है और सकरात्मकता का इतना ऊँचा मानदंड नहीं खड़ा करना चाहिए रामायण और पुरुषोत्तम राम की तरह की लोगो को लगे की ये मानदंड तो इतना ऊँचा है की हम उसे कभी छू ही नहीं सकते है तो वैसा बनने का प्रयास ही बेकार है हम तो बुरे