कार्डियो-संवहनी पर प्रभाव: धुम्रपान न करने वालों की तुलना में धुम्रपान करने वाले लोगों में कार्डिया संबंधी बीमारियां ज्यादा पाई जाती है, जैसे-सीने मे दर्द और सांस लेने में परेशानी होना आदि।
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सांस लेने में तकलीफ बलगम रहना सिरदर्द और एकाग्रता में कमी कोई भी काम करने में परेशानी होना चिड़चिड़ापन, आत्मविश्वास में कमी की वजह से व्यक्तिगत संबंधों में खटास आना व्यक्ति का डिप्रेस होना और तनाव
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वहीं लंबे समय तक होने वाली दिक् कत में हृदय रोग, नर्व, किडनी, आंख और पैर को क्षति पहुंचना, स्किन और मुंह पर इनफेक् शन होना और हड्डियों व जोड़ों में परेशानी होना है।
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इसी प्रकार जीजीआईसी हाथरस में जब भी शिक्षा मित्रों की परीक्षा होती है, तब ही फर्नीचर न होने का रोना हर बार अधिकारियों से रोया जाता है, जिससे यहां भी परीक्षाओं के दौरान परीक्षार्थियों का परेशानी होना लाजिमी है।
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जीभ पर पीले रंग की पतली सी परत जम जाना, जीभ का भारी लगना, बोलने में परेशानी होना आदि जीभ के रोगों के लक्षणों में रोगी को जेन्शियाना चिराता औषधि का प्रयोग कराने से आराम आता है।
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इसी प्रकार हायपर-थायराईडिज्म को भी कुछ अतिरिक्त लक्षणों से पहचाना जा सकता है जैसे: मांसपेशियों का कमजोर पड़ना, कम्पन होना, दस्त लग जाना, देखेने में परेशानी होना और स्त्रियों में मासिक-चक्र का अनियमित होना I
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पेट से सम्बंधित लक्षण-रोगी के पेट मे बहुत तेजी से होने वाला स्पंदन और इसी के साथ ही रोगी को सांस लेने में परेशानी होना, उसे लेटने में परेशानी होती है तथा आराम करने पर आराम पहुंचता है।
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शरीर के बाहर के अंगों में बहुत तेज दर्द होना, टांगों का बहुत ज्यादा कमजोर हो जाना, चलते समय परेशानी होना जैसे लक्षणों के आधार पर रोगी को जेन्शियाना चिराता औषधि का सेवन कराने से लाभ होता है।
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इसमें उन्होंने तीन शारीरिक लक्षणों को चिन्हित किया, जिसमें दौड़ने या वजन उठाने जैसे भारी काम कर पाने में अक्षमता, एक किमी से अधिक की दूरी तक न चल पाना और झुकने और बैठने में परेशानी होना शामिल है।
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मूत्ररोगों से सम्बंधित लक्षण-पेशाब करने में परेशानी होना, पेशाब का रुक-रुककर आना, पेशाब का कभी ज्यादा आना कभी अचानक कम हो जाना आदि मूत्ररोगों के लक्षणों में रोगी को कोनियम मेकुलेटम औषधि देने से जल्द ही लाभ होता है।