ई एस ए का स्मार्ट निअर इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोमीटर-इसका इस्तेमाल चन्द्रमा के खनिज संसाधनों, सतह विशेषताओं के निर्माण, वह पध्दति जिसके आधार पर चन्द्रमा की पर्पटी की विभिन्न परतें एक दूसरी पर स्थित हैं और वह पध्दति जिसके आधार पर अंतरिक्ष में पदार्थ परिवर्तित होते हैं, का अध्ययन करने के लिए किया जायेगा।
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श्वेत या क्षार पर्पटी १ / २ ग्राम + हजरल यहूद भस्म १ / ४ ग्राम + ग्लूकोस + पानी = दो या तीन बार एवं कायनेटोमाईन (kynetomine) टेब जे एंड जे डिशेंन) २-२ गोली दो या तीन बार | चिकनाई और नमक रहित भोजन करने से जल्दी ही रोग नष्ट हो जाता है।
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३. क्षार पर्पटी एक ग्राम + सज्जीखार एक ग्राम + पुननर्वादि गुग्गुलु एक गोली को नींबू शर्बत या शहद के साथ दिन में तीन बार सुबह दोपह शाम को दीजिये(खाली पेट न दें) ४. त्रिफला २ ग्राम + कुटकी एक ग्राम + मुनक्का ३ ग्राम मिला कर मुनक्के को मसल कर बनाए शर्बत के साथ दें(इस शर्बत के स्थान पर हरीतक्यादि क्वाथ दें तो बेहतर परिणाम मिलते हैं)
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३. क्षार पर्पटी एक ग्राम + सज्जीखार एक ग्राम + पुननर्वादि गुग्गुलु एक गोली को नींबू शर्बत या शहद के साथ दिन में तीन बार सुबह दोपह शाम को दीजिये (खाली पेट न दें) ४. त्रिफला २ ग्राम + कुटकी एक ग्राम + मुनक्का ३ ग्राम मिला कर मुनक्के को मसल कर बनाए शर्बत के साथ दें (इस शर्बत के स्थान पर हरीतक्यादि क्वाथ दें तो बेहतर परिणाम मिलते हैं) भोजन में अधिकतम दूध रोटी या दूध चावल का सेवन हितकर है।
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किसी भी धातु को सोने में बदलने की कला बुद्ध काल में भी प्रचलित रही, थी इसे ' अल्कीमी ' या किमियागीरी कहा जाता था, आज भी सोने की भस्मों जैसे वृहत वातचिंतामणि रस, स्वर्णसूतशेखर रस, स्वर्ण कल्प, स्वर्ण पर्पटी, स्वर्णगजकेशरी जैसी औषधियों का त्वरित प्रभाव देखा जाता है, सम्भवत: सोने का महत्व एवं आकर्षण हर युग में लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है, इसलिए लोगों ने इसे सरलता से प्राप्त करने के उपाय के रूप में कीमियागिरी को चुना होगा।
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इनमें लोहे को गलाकर शुद्ध करने के लिए विचित्र वस्तुओं के साथ मिलाकर भिन्न लोहे को भिन्न-भिन्न विधियों से गलाने का वर्णन है ; यथा: जंबीरों नीबू, लाल एरंड, इमली, जामुन, घुँघची, आँवला, नौसादर, सज्जीक्षार, यवक्षार, खुरक्षार, हींग, पर्पटी, सुपारी, जटामाँसी, विदरीकंद, पाँच प्रकार के तेल, इंगुदी, मजीठ, कौड़ी, मुनक्का से परिपूर्ण तेल, शंख, भिलावा, काकोली, लाल कुलथी, सरसों, अरहर, गेहूँ के कसाय और कांजियाँ आदि-आदि।