कांग्रेस में दिग्विजय सिंह के रोल को हम यूं समझ सकते हैं-संकट में घिरी कांग्रेस जब कई बार असहज स्थिति में आ जाती है और पार्टी को ऐसी स्थिति में विरोधियों पर हमला बोलना होता है तो कांग्रेस आलाकमान दिग्विजिय सिंह का सहारा लेता है..
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लेकिन जलेस की भूमिका पर की गयी एक टिप्पणी के जवाब मे करीब दस साल पुरानी व्यक्तिगत जीवन की एक दुखद घटना को आधार बना कर उन पर हमला बोलना और उसमें भी तथ्यात्मक रूप से ग़लत आरोप लगाना कम से कम जलेस जैसे संगठन को शोभा नहीं देता।
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विश्व हिन्दू परिषद ने तो सीधे-सीधे पाकिस्तान के खिलाफ अपना मोर्चा खोलते हुए जहां कसाब व अफजल गुरु को बिना समय गंवाए फांसी पर लटकाने की वकालत की है वहीं नसीहत देते हुए कहा है कि भारत सरकार को भी अमेरिका के पदचिन्हों पर चलते हुए पाकिस्तान पर हमला बोलना चाहिए।
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संघ पर हमला बोलना हो या अपनी ही सरकार की नक्सलवाद से निपटने की रणनीति पर उंगली उठाना या फिर गृहमंत्री की मानसिकता एवं कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करना, इन सबके बावजूद दिग्विजय सिंह की अहमियत कांग्रेस में घटी नहीं है, बल्कि कथित रूप से कांग्रेसी युवराज के राजनीतिक गुरु के कद में इजाफा ही हुआ है।
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झटके में सवाल खड़ा हो गया कि क्या अपराध करने वालों के बीच आम और खास की कोई लकीर होती है और क्या वाकई कोई यौन शोषण कर आत्मग्लानी करे, तो कानून को अपना काम नहीं करना चाहिए? ध्यान दें, तहलका ने ही जब सत्ता पर हमला बोलना शुरू किया, तो हर आम पाठक व सामान्य पत्रकार को पहली बार महसूस हुआ कि विशेषाधिकार किसी का नहीं होता और अपराधी तो अपराधी होता है।