| 41. | यम द्वितीया का पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया अर्थात कार्तिक महीने के उजाले पाख के दूसरे दिन मनाया जाता है।
|
| 42. | दिल में यह सवाल पैदा होता कि क्या वह चार दिन की चांदनी खत्म हो गयी और अंधेरा पाख आ गया?
|
| 43. | एक भदैसले और ने हाथ पर चिलम पीते हुए अपनी पडोसिन से कहा-चार दिन की चांदनी, फिर अंधेरी पाख!
|
| 44. | और गोसाई महेंदर गिर ने बावन तोले पाख रत्ती जो उसकी इक्कीस चुटकी आगे रक्खी और कहा-यह भी एक खेल है।
|
| 45. | बिताते थे हम अँधेरी रातों को बिना किसी शिकायत के गीतों के दीप जलाकर प्रतीक्षा करते हुए उजाले पाख की ।
|
| 46. | इस तरह उजियारे पाख को हर बार शुक्ल दिवस लिखना ज़हमत का काम लगा सो उन्होंने उसे शुदि लिखना शुरू कर दिया।
|
| 47. | विरह अगन की पीर में झुलस गए पात-शाख शुष्क वायु के मौन निमंत्रण में उड़ उठा नीरद लगा पाख ।
|
| 48. | इस तरह उजियारे पाख को हर बार शुक्ल दिवस लिखना ज़हमत का काम लगा सो उन्होंने उसे शुदि लिखना शुरू कर दिया।
|
| 49. | एक भदैसल औरत ने हाथ पर चिलम पीते हुए अपनी पडोसिन से कहा-चार दिन की चांदनी, फिर अंधेरा पाख!
|
| 50. | और गोसाई महेंदर गिर ने बावन तोले पाख रत्ती जो उसकी इक्कीस चुटकी आगे रक्खी और कहा-” यह भी एक खेल है।
|