प्रजापति की उक्ति थी कि पापरहित, जराशून्य, मृत्यु-शोक आदि विकारों से रहित आत्मा को जो कोई जान लेता है, वह संपूर्ण लोक तथा सभी कामनाओं को प्राप्त कर लेता है।
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जो मनुष्य शिवरात्रि में भगवान शंकर की पांच मंत्रों से पंचोपचारविधिपूर्वक गन्ध (सफेद चंदन), पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य चढाते हुए पूजा करता है, वह निस्संदेह पापरहित हो जाता है।
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लोग उसके पापरहित जीवन, आश् चर्यकर्मों और अधिकारपूर्ण उपदेशों से बेहद प्रभावित थे और अन् य यहूदी गुरूओं से अधिक प्रभु यीशु मसीह को महत् व देने लगे थे।
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प्रजापति की उक्ति थी कि पापरहित, जराशून्य, मृत्यु-शोक आदि विकारों से रहित आत्मा को जो कोई जान लेता है, वह संपूर्ण लोक तथा सभी कामनाओं को प्राप्त कर लेता है।
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ज्ञान निर्धूत कल्मषाः ' को उद्धृत कर वे कहते हैं कि ज्ञान द्वारा पापरहित होने पर योगी के हर कर्म दिव्यकर्म बन जाते हैं (श्लोक १ ७) ।
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यम तीर्थ पर स्नान और दान से मनुष्य पापरहित हो जाता है, जबकि अग्नि तीर्थ पर स्नान और दान करने से मनुष्य को अग्निष्टोम नामक यज्ञ का फल प्राप्त होता है।
47.
ब्रह्महत्या से दबा हुआ, गोत्र की हत्या करनेवाला,गर्भस्थ बालक को मारनेवाला, परनिन्दक तथा परस्त्रीलम्पट पुरुष भी ‘अपरा एकादशी ' के सेवन से निश्चय ही पापरहित हो जाता है ।
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राम ने भी यही कहा कि-मैं असुरों का दमन और नाश करके ऋषियों मुनियों को सुख चैन से यग्यादि और धरा को पापरहित करने के लिये अवतार लेता हूँ ।
49.
हो सकता है हम अपने इर्द-गिर्द दुष् ट, भ्रष् टाचारी, व् यभिचारी एवं अन् य बुराइयों से भरे मनुष् यों को देखकर स् वयं को धर्मी एवं पापरहित समझने लगें।
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ब्रह्महत्या से दबा हुआ, गोत्र की हत्या करनेवाला, गर्भस्थ बालक को मारनेवाला, परनिंदक तथा परस्त्रीलम्पट पुरुषः भी ' अपरा एकादशी ' के सेवन से निश्चय ही पापरहित हो जाता है।