उसे चुनना है अपना आश्रय जिनके पुण्यों से संतति को नहीं मिलेगा कोई देवलोक किसी बहेलिये* की पापात्मा कोप है लाखों योजन का विस्तार भी.
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उसी तरह अब पापात्मा लोग कहते हैं कि इस संसार से पुण्य कभी मिट नहीं सकता क्योंकि पाप उसी की आड़ में छिप सकता है।
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उसी तरह अब पापात्मा लोग कहते हैं कि इस संसार से पुण्य कभी मिट नहीं सकता क्योंकि पाप उसी की आड़ में छिप सकता है।
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बताया गया है कि जो श्रद्धालु पापात्मा, नास्तिक संशयात्मा और केवल तर्क में डूबे रहनेवाले हैं-इस पाँच प्रकार के मनुष्यों को तीर्थफल की प्राप्ति नहीं होती।
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बताया गया है कि जो श्रद्धालु पापात्मा, नास्तिक संशयात्मा और केवल तर्क में डूबे रहनेवाले हैं-इस पाँच प्रकार के मनुष्यों को तीर्थफल की प्राप्ति नहीं होती।
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इसके साथ ही हमें हितैषी, मित्र, शत्रु, उदासी, मध्यस्थ, द्वेषी, वंधु, धर्मात्मा, पापात्मा सभी में समदृष्टि रखनी होगी।
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अपने उपकारी रक्षक रीछ के बच्चों को काट कर कच्चा ही खाते उस पापात्मा व्याध को दया तो आई ही नहीं, देर भी न लगी।
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कॉमेडी प्रसिद्ध और शक्तिशाली लोगों की बात नहीं करती, बल्कि उनकी बात करती है जो, यद्यपि पापात्मा नहीं हैं लेकिन निचले स्तर के और हास्यास्पद प्राणी हैं;
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‘‘....... तो महाराज, फिर चिन्ता कैसी? जो पुण्यात्मा हो उसे स्वर्ग और जो पापात्मा हो उसे नर्क में भेज दें, सिम्पल सी बात।
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सुखी, दुखी पण्यात्मा तथा पापात्मा व्यक्तियों के बारे में, यथा क्रम मैत्री, करुणा, हर्ष तथा उदासीनता, की भावना रखने से चित्त निर्मल एवं प्रसन्न होता है ॥३३॥