6 हजार मेगावाट एच 0 वी 0 डी 0 सी 0 पारेषण लाइन के माध्यम से भूटान एवं उत्तर पूर्वी क्षेत्र की पनबिजली परियोजनाओं का विद्युत अंतरण उत्तरी क्षेत्र स्थित लोड सेन्टरों को उपलब्ध कराया जायेगा।
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उन्हांेने बताया कि सोलर पावर प्लाण्ट के लिए पारेषण लाइन एवं सब-स्टेशन के निर्माण पर आने वाला व्यय राज्य सरकार द्वारा अधिकतम 10 करोड़ रुपये की धनराशि वहन की जायेगी तथा शेष धनराशि संयुक्त उपक्रम द्वारा वहन की जायेगी।
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इस तरीके अभियोजन पक्ष द्वारा यह तथ्य पत्रावली पर सिद्ध किया गया है कि उक्त जो तार अभियुक्तगण से बरामद हुआ है, वह सामान्यतः मार्केट में उपलब्ध नहीं है, बल्कि धौली गंगा-बरेली विद्युत पारेषण लाइन में प्रयुक्त होता है।
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1200 केवी की एक सिंगल सर्किट पारेषण लाइन 6000 से 8000 मेगावॉट तक विद्युत का पारेषण कर सकती है, अतएव यह प्रति मीटर राइट ऑफ-वे में 400 केवी और 800 केवी लाइन से ज्यादा विद्युत अंतरण क्षमता उपलब्ध कराती है।
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पत्रावली पर एच0पी0 मिश्रा उपप्रबंधक, पॉवर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, टनकपुर की 7क/1 प्रदर्श क-2 रिपोर्ट प्रस्तुत है, जिसमें उन्होंने थानाध्यक्ष टनकपुर को इस बात की सूचना दी कि दोनों अभियुक्तगण से बरामद तार धौली गंगा-बरेली विद्युत पारेषण लाइन का है।
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गर्मियों में किसी दूसरे क्षेत्र से बिजली लेने के लिए कॉरीडोर यानि बिजली आपूर्ति की पारेषण लाइन की उपलब्धता तय नहीं होती है इस कारण अब खरीदी जाने वाली बिजली उत्तरी क्षेत्र से जुड़े आपूर्तिकर्ताओं से ही खरीदने का फैसला किया गया है।
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नीतीश ने कहा कि इसके लिए पारेषण लाइन, सब-ट्रांसमिशन लाइन एवं डिस्ट्रीब्यूशन लाइन को ठीक करने के साथ 72 हजार किलोमीटर जर्जर तारों को बदलने की महत्वाकांक्षी योजना की शुरूआत की है तथा ग्रिड, सबग्रिड, पावर सबस्टेशन सभी पर काम जारी है।
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मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने कहा कि राज्य में जिस तेजी से ऊर्जा क्षेत्र में निवेश हो रहा है और राज्य विद्युत मंडल की भी कई परियोजनाएं अगले दो वर्षों में उत्पादन शुरू करने वाली हैं ऐसी स्थिति में इस उच्च शक्ति की पारेषण लाइन का निर्माण जरूरी हो गया है।
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-अपीलेट ट्रिब्यूनल का स्पष्ट आदेश नहीं पढ़ रहे प्रदेश के आला अफसर-जिंदल से नहीं ले रहे सबक उल्लेखनीय है कि छत्तीसग़ढ़ में दिल्ली की कंपनी जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड को लगभग ४३ किलोमीटर डबल सर्किट विद्युत पारेषण लाइन बिछाने की अनुमति छत्तीसग़ढ़ विद्युत नियामक आयोग ने दी थी।
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उत्तर-प्रदेश पावर कॉरपोरेशन निजी क्षेत्र के जीवीके समूह की अलकनंदा हाइड्रो कंपनी के साथ मिलकर उत्तराखंड के पौढी गढ़वाल में 330 मेगावाट की क्षमता का बिजलीघर बना रहा है, लेकिन इस बिजलीघर से उत्तर-प्रदेश तक बिजली लाने के लिए पारेषण लाइन बनाने की मंजूरी उत्तराखंड पावर कॉर्पारेशन ने अभी तक नहीं दी है।