वाह्य रूप में देखें तो दुन्या इन मुसलमानों के लिए कोई नर्म गोशा इस लिए नहीं रखती कि इन का अतीत उनके प्रति इन्तेहाई दागदार है, और आंतरिक सूरते हाल ऐसी है कि ख़ुद इनका ही समाजी वातावरण इन्हें सदियों पीछे ले जाना चाहता है.
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अगर सरकार लगातार भारत को पीछे ले जाना चाहती है, जैसा कि इतिहास के मीर जाफर के अवतार के जरिए पीछे धकेलने की कोशिश कर रही है तो जनता को जन अभियानों के जरिए सरकार के मंसूबों पर पानी फेरते हुए राष्ट्रहित में काम करना होगा।
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बेलचे से एक सधी हुई लय में कोयला उठाना और उसे धधकती भट्टी में डालना, भांप के दबाव की घड़ी पर ध्यान रखना, बाहर की तरफ़ लटक कर जायजा लेना,गोल हैण्डल घुमाकर इंजन को आगे या पीछे ले जाना! गार्ड के डिब्बे से भी बहुत आकर्षण था।
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वाह्य रूप में देखें तो दुन्या इन मुसलमानों के लिए कोई नर्म गोशा इस लिए नहीं रखती कि इन का अतीत उनके प्रति इन्तेहाई दागदार है, और आंतरिक सूरते हाल ऐसी है कि ख़ुद इनका ही समाजी वातावरण इन्हें सदियों पीछे ले जाना चाहता है.
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अपने आस पास वाले हर व्यक्ति को हम अपने साथ सालों पीछे ले जाना चाहते हैं! लखनऊ में डॉ.अरविन्द मिश्र जी,ज़ाकिर जी,शैलेश भारतवासी,रविन्द्र प्रभात जी आदि ब्लॉग जगत के कई अन्य सदस्यों से मिलना हुआ.दिल्ली लौट कर रंजना भाटिया जी ओर सीमा जी से भी मिलना हुआ...
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बेलचे से एक सधी हुई लय में कोयला उठाना और उसे धधकती भट्टी में डालना, भांप के दबाव की घड़ी पर ध्यान रखना, बाहर की तरफ़ लटक कर जायजा लेना, गोल हैण्डल घुमाकर इंजन को आगे या पीछे ले जाना! गार्ड के डिब्बे से भी बहुत आकर्षण था।
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डालता हूँ तो खुद अपने ही स्वभाव से लड़ते हुए उस दृश्य में जान डालने के लिये खुद को तीस साल पीछे ले जाना पड़ता है” बिलकुल सही है सही जी मैंने बीस साल पहले अध्यात्म पर लिखना शुरू किया था पर इधर प्रेम की और विरह की पोस्ट आपने भी पढ़ी है. शाही जी आपकी शालीनता और गरिमा
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ऐसे में दिल्ली के तथाकथित राष्ट्रीय नेता पार्टी के अंदर और अपने विभिन्न संपर्कों के जरिए पार्टी के बाहर भी इस बात को उठा रहे थे कि किसी राज्य इकाई के सीमित अनुभव वाले व्यक्ति को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का मतलब है पार्टी को और पीछे ले जाना. क्योंकि इनके मुताबिक गडकरी जैसे ‘ बाहरी ' व्यक्ति को तो तीन साल पार्टी को समझने में ही लग जाएगा.