• आपने आम भारतीय जीवन की छवियों-बिहार का कट्टा, मध्यवर्गीय रसोई, बड़े-बड़े बर्तनों में साइकल या स्कूटर पर सवार दूधवाले, पुरानी अंबैसडर कार, पीतल केर् बत्तन, पीढा (पाटला) इत्यादि रोजमर्रा के जीवन में इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं के इस्तेमाल के पीछे क्या अतीत का मोह है?
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प्रीत हुई तो सब कुछ “ अपना ” ना कुछ तेरा-मेरा है! ध्यान से सुनना मन की वीणा यही कहे है हर झंकार!! एहसासों के बंधन को, …….!! *********** जिसने विरह की पीढा भोगी, उसका उतना तापस मन है प्रीत-आधारी दुनियां साथी, शेष सभी कुछ उजड़ा वन है!
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गाँव में रहता था तो-' ईनार' का पानी गर्म-वहीँ बडका पीढा पर्-बाबा के साथ नहाना! फिर कांपते हुए अपने से बड़ी औकात वाली 'खादी के गमछा' को लपेट हाथों को सीने से लगा-कापते हुए आँगन में जाना! फिर कुछ नया कपड़ा पहन-बाबा का इंतज़ार करना! फिर बाबा के साथ-दही-चिउरा इत्यादी!!
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राजा साहब ने उनके साथ चौका में भोजन के लिये पीढा पर बैठ गये और सभी लोगों के सामने भोजन आने का इन्तजार किया जैसे ही सभी लोगों के सामने भोजन की थालियां आ गयीं सभी लोगों ने पहले राजा साहब को भोजन करने के लिये प्रार्थना की, राजा साहब ने भोजन का ग्रास लेकर जैसे ही ग्रहण किया सभी घर के लोगों ने भोजन करना शुरु कर दिया।
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राजा साहब ने उनके साथ चौका में भोजन के लिये पीढा पर बैठ गये और सभी लोगों के सामने भोजन आने का इन्तजार किया जैसे ही सभी लोगों के सामने भोजन की थालियां आ गयीं सभी लोगों ने पहले राजा साहब को भोजन करने के लिये प्रार्थना की, राजा साहब ने भोजन का ग्रास लेकर जैसे ही ग्रहण किया सभी घर के लोगों ने भोजन करना शुरु कर दिया।
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घर से दूर रहने की पीढा, देश की सीमा की रक्षा के लिए बारूद के सामने सीना तान कर खडे रहने का हौंसला, दुश्मन की गोली के साये मे खोफनाक राते गुजारने की मज़बूरी, आंधी, तूफ़ान, मे भूखे प्यासे रहकर पहरा देने की जांबाजी और जरूरत पडे तो जान पर खेल जाने की ललक को जब वो शब्दों मे आकार देगा तो जो कविता बन पडेगी वो सबको स्तब्ध कर देगी....”
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लेकिन आज की तानाशाही को क्या आप लोकतंत्र की संज्ञा देंगें? ऐसी सरकार जो अवाम के मूल भूत अधिकारों का हनन करती हो, जिसे अवाम की कोई फिक्र न हो! जो सत्ता को जन्म सिद्ध अधिकार माने! क्षमा कीजिए यह लोकतंत्र नहीं बस तंत्र ही तंत्र है, गुलाम मानसिकता वाला तंत्र! ऐसे में यदि अवाम का आक्रोश अन्ना की आवाज़ में फूटता है तो कुछ लोंगों को पीढा होती है!
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घर से दूर रहने की पीढा, देश की सीमा की रक्षा के लिए बारूद के सामने सीना तान कर खडे रहने का हौंसला, दुश्मन की गोली के साये मे खोफनाक राते गुजारने की मज़बूरी, आंधी, तूफ़ान, मे भूखे प्यासे रहकर पहरा देने की जांबाजी और जरूरत पडे तो जान पर खेल जाने की ललक को जब वो शब्दों मे आकार देगा तो जो कविता बन पडेगी वो सबको स्तब्ध कर देगी.... ” Regards
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छठवी भॉंवर के बाद उलट पीढा होता है, जिसमें नाउन कन् या को माहूर लगाती है खिचडी उलट पीढा की दौरी दी जाती है, अब सांतवीं भॉंवर में वर आगे व वधु पीछे रहती है और वर-वधु दोनों उंगली पकडकर भॉंवर लेते है कन् या के माता-पिता भॉंवर का कार्यक्रम नहीं देखते है, भाई को लाही परोसने का नेग दिया जाता है जिसमें उसके लिए 5 कपडें, जूता, मोजा भी दिया जाता है जिसे साला जोडी कहते है, विवाह में भॉंवर के कार्यक्रम तक वधु को 3 ओली पडती है ।
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छठवी भॉंवर के बाद उलट पीढा होता है, जिसमें नाउन कन् या को माहूर लगाती है खिचडी उलट पीढा की दौरी दी जाती है, अब सांतवीं भॉंवर में वर आगे व वधु पीछे रहती है और वर-वधु दोनों उंगली पकडकर भॉंवर लेते है कन् या के माता-पिता भॉंवर का कार्यक्रम नहीं देखते है, भाई को लाही परोसने का नेग दिया जाता है जिसमें उसके लिए 5 कपडें, जूता, मोजा भी दिया जाता है जिसे साला जोडी कहते है, विवाह में भॉंवर के कार्यक्रम तक वधु को 3 ओली पडती है ।