गो देहात में भी रिफ़ार्म के लेक्चर दिये गये थे और अमृतराय के पुरजोश पैरो मुतवातिर दौरे कर रहे थे मगर इन लेक्चरों में अभी तक विधवा विवाह का जिक्र मसलहतन नहीं किया गया था।
42.
संजीव भास्कर अन्ना और विल के रेस्तरां में एक आक्रामक और पुरजोश फिल्म समीक्षक की हास्य भूमिका में हैं (जो मेग रियान का वर्णन एक ऐसी महिला के रूप में करता है जो प्रत्येक बार कॉफ़ी पर ले जाने पर सम्भोग सुख प्राप्त करती है).
43.
नया साल आया हैवीरान सुबह के नीले आसमाँ से उभरताठिठरती खमुशी में बर्फ़ीली सीटी बजाता दबे पाऊँ आयाठंडी शामों की खमुशियाँउसके क़दमों की आहट समेटेरास्तों में, साएबानों में सिसक रही हैंनिकल आती है शब् को दरीचों की छिदों से पुरजोश झोंकों की बेतहाशा ठंडक ठन्डे
44.
संजीव भास्कर अन्ना और विल के रेस्तरां में एक आक्रामक और पुरजोश फिल्म समीक्षक की हास्य भूमिका में हैं (जो मेग रियान का वर्णन एक ऐसी महिला के रूप में करता है जो प्रत्येक बार कॉफ़ी पर ले जाने पर सम्भोग सुख प्राप्त करती है).
45.
लेकिन मेरे मुंह से आवाज निकली नहीं और मैंने किसी को पुरजोश अन्दाज में कहते सुना, ÷÷ हमने इसे हिमालय में खोजा और अब यह पेरू के टोटेम की तरह हमें बताती है कि ह्यूमिनिटी को किसी भी युग में एक अच्छे टूथपेस्ट की जरूरत रहेगी।
46.
लेकिन मेरे मुँह से आवाज निकली नहीं और मैंने किसी को पुरजोश अंदाज में कहते सुना, ' हमने इसे हिमालय में खोजा और अब यह पेरू के टोटेम की तरह हमें बताती है कि ह्यूमिनिटी को किसी भी युग में एक अच्छे टूथपेस्ट की जरूरत रहेगी।
47.
● स्त्री के नैतिक अस्तित्व के इस विघटन से न क़ानून को कुछ लेना-देना, न नारी जाति के ‘ शुभ-चिंतकों ' को, न पूर्वीय सभ्यता के गुणगायकों को, और न ही नारी-स्वतंत्रता आन्दोलन (Women Liberation Movement) की पुरजोश कार्यकर्ताओं (Activists) को।
48.
वही सावरकर जो लंदन के एक रेस्त्रां में भारतमुक्ति के लिए अंग्रेज़ों के खिलाफ़ व्यक्तिहिंसा पर पुरजोश तक़रीर कर रहे थे, भारत में सांप्रदायिक फ़ासीवाद के प्रणेता बन कर देश की एकता तोड़ने वाला ज़हर घोलने लगे जिससे भारत का विभाजन हुआ और जो आज भी भारत के राष्ट्रवाद को खोखला कर रहा है और उसकी प्रगति में बाधा डाल रहा है।
49.
वही सावरकर जो लंदन के एक रेस्त्रां में भारतमुक्ति के लिए अंग्रेज़ों के खिलाफ़ व्यक्तिहिंसा पर पुरजोश तक़रीर कर रहे थे, भारत में सांप्रदायिक फ़ासीवाद के प्रणेता बन कर देश की एकता तोड़ने वाला ज़हर घोलने लगे जिससे भारत का विभाजन हुआ और जो आज भी भारत के राष्ट्रवाद को खोखला कर रहा है और उसकी प्रगति में बाधा डाल रहा है।
50.
मुझे हैरत इस बात की है कि बिलासपुर की उस पुरजोश शाम के बाद हालांकि केदारजी से बीसियों बार तर-ओ-खुश्क मुलाकातें नसीब हुई हैं लेकिन उन्होंने कभी निराला का न तो जिक्र छेड़ा न उस सरसरी बहस को आगे बढ़ाया, उलटे वैसा एकतरफा, बेबुनियाद और निराला (के लिए बहुत कम) व मेरे लिए (काफी) नुकसानदेह बयान दे डाला।