पुरीष का क्षय होने पर अन्त्र हृदय और पार्श्व में पीड़ा ध्वनि गड़गड़ाहट के साथ वायु का ऊपर-नीचे निर्गमन आहमान आदि होते हैं ।।
42.
पक्वाशय में स्थित पुरीष यद्यपि मल रूप होता है और निस्सार होने के कारण उसका अधिकांश भाग शरीर के बाहर निकाल दिया जाता है ।
43.
अर्थात् पक्वाशय और आमाशय के मध्य में स्थित चार प्रकार के अन्नप्राशन का पाचन करता है, और दोष रस मूत्र पुरीष का विवेचना करता है ।।
44.
सः तु व्यानेन विक्षिप्तः सर्वान् धातूना प्रतपर्येत् ॥ अर्थात् पुरीष और मूत्र ये दोनों आहार के मल हैं और आहार का सार भाग रस कहलाता है ।
45.
३. पुरीष-भुक्त आहार का आमाशय, पच्यमानाशय और पक्वाशय में त्रिविध पाक होने के परिणाम स्वरूप जो निःसार भाग मलद्वार से बाहर निकलता है वह पुरीष कहलाता है ।।
46.
इसी प्रकार स्वीडन निकट भविष्य में अपने 80 % वाहनों को अर्यावरण को क्षति पहुंचानेवाले डीज़ल पेट्रोल की बजाए पुरीष इत्यादि नागरिक कूड़े कचड़े से गैस उत्पाद से चला पाएगा.)
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शौचालय की दिशा के विषय में विश्वकर्मा कहते हैं ‘या नैऋत्य मध्ये पुरीष त्याग मंदिरम ' अर्थात दक्षिण और नैऋत्य (दक्षिण-पश्चिम) दिशा के मध्य में पुरीष यानी मल त्याग का स्थान होना चाहिए।
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शौचालय की दिशा के विषय में विश्वकर्मा कहते हैं ‘या नैऋत्य मध्ये पुरीष त्याग मंदिरम ' अर्थात दक्षिण और नैऋत्य (दक्षिण-पश्चिम) दिशा के मध्य में पुरीष यानी मल त्याग का स्थान होना चाहिए।
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जिसके कारण पक्वं में प्रवेश के समय जो किट्ट भाग द्रव रूप में था अब वह पक्व होकर पिण्ड रूप में हो जाता है, वह पुरीष संज्ञा को धारण करता है ।।
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शौचालय की दिशा के विषय में विश्वकर्मा कहते हैं ‘ या नैऋत्य मध्ये पुरीष त्याग मंदिरम ' अर्थात दक्षिण और नैऋत्य (दक्षिण-पश्चिम) दिशा के मध्य में पुरीष यानी मल त्याग का स्थान होना चाहिए।