उसे दार्शनिक पद्धतियों में व्यक्ति के अमरत्व का सिद्धांत तथा ईश्वर के पूर्वज्ञान एवं पूर्वविधान में विश्वास की बात दिखाई नहीं देती जिसके द्वारा ऐसा माना जाता है कि ईश्वर जीवन की छोटी छोटी घटनाओं को पहले से ही जानता है और उन्हें पहले ही देख ले सकता है तथा किसी भी समय उनमें हस्तक्षेप कर सकता है।