पहले से चली आ रही बहस को शुभाशुभ के बीच शाश्वत, प्राणांतक संघर्ष निरूपित करने का काम, विवाद कर रहे लोगों को स्थायी रूप से शुभ और अशुभ में बाँट देने का काम जरथुस्त्र की ‘ प्राफेटिक रिवोल्यूशन ' ने किया. तमाम क्रांतियों की तरह जरथुस्त्र की पैगंबरी क्रांति भी बहुत देर से खदबदा रहे पानी का उबाल थी.
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जयपुर में मजाज़ मैं और धमाके जयपुर में मजाज़ मैं और धमाके मैं मजाज़ के साथ सडकों पे टहल रहा था तभी मजाज़ ने क्या खूब कहा:-“ मस्जिदों में मौलवी खुतबे सुनाते ही रहे मंदिरों में बिरहमन श्लोक गाते ही रहे एक न एक दर पर ज़बाने शौक़ घिसती ही रही आदमियत जुल्म की चक्की में पिसती ही रही रहबरी जारी रही पैगंबरी जारी रही दीन के पर्दे में जंगे जरगरी जारी रही! ”
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हसन बसरी और राबिया बसरी मुहम्मद के बाद तबा ताबेईन हुए, जो बागी ए पैगंबरी थे और मुहम्मदुर रसूल अल्लाह कभी नहीं कहा.हसन बसरी का वक़ेआ मशहूर है कि एक हाथ में आग और दूसरे हाथ में पानी ले कर भागे जा रहे थे, लोगों ने पूंछा कहाँ? बोले जा रहा हूँ उस दोज़ख को पानी से ठंडी करने जिसके डर से लोग नमाज़ पढ़ते हैं और उस जन्नत को आग लगाने जिस की लालच में लोग नमाज़ पढ़ते हैं.
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और ये लोग नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के अहले बैत और आपकी मोमिन उम्मत के विरूध यहूदियों, ईसाईयों और अनेकेश्वरवादियों की मदद और सहयोग करते हैं जिस प्रकार कि उन्हों ने तुर्क और तातार में से मुशरिकों की उस चीज़ पर सहयोग किया जो कुछ उन्हों ने बग़दाद वगैरह में नबुव्वत के घराने वालों और पैगंबरी के खान अब्बास की संतान, और उनके अलावा अन्य अहले बैत और मुसलमानों के साथ-हत्या करने, बंदी बनाने और घरों को विध्वंस करने का-व्यवहार किया।