पैग़म्बरी की घोषणा से पूर्व और उसके बाद जीवन के हर चरण में हज़रत ख़दीजा सलामुल्लाहे अलैहा हज़रत मोहम्मद स पर न्योछावर होती रहती थीं।
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पैग़म्बरी की घोषणा से पूर्व और उसके बाद जीवन के हर चरण में हज़रत ख़दीजा सलामुल्लाहे अलैहा हज़रत मोहम्मद स पर न्योछावर होती रहती थीं।
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इस्लामी एकता मुसलमानों के ईमान, तौहीद पर यक़ीन, पैग़म्बरे इस्लाम की पैग़म्बरी और पाक क़ुरआन पर ईमान की छाया में वुजूद में आई है।
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जिन महान हस्तियों ने इतिहास में पैग़म्बरी की पताका लहराया वे अपने जीवन में सत्यता के लिए प्रसिद्ध थे सभी उन्हें पवित्र एवं थाती जानते थे।
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पैग़म्बरे इस्लाम ने भी अपनी पैग़म्बरी का उद्देश्य मनुष्य का नैतिक प्रशिक्षण बताते हुए कहाः मैं नैतिक मूल्यों को परिपूर्णतः तक पहुंचाने के लिए भेजा गया हूं।
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हेनरी कोरबन का कहना है कि यहूदियों ने पैग़म्बरी को जो मनुष्यों और ईश्वर के मध्य वास्तविक संपर्क है, हज़रत मूसा पर समाप्त कर दिया ।
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आपकी ‘ नुबूवत ' (पैग़म्बरी) किसी विशेष जाति या देश के लिए नहीं, बल्कि आदम की समस्त सन्तान के लिए है और हमेशा के लिए है।
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पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद (स) की बेसत अर्थात आपकी पैग़म्बरी की घोषणा का दसवां वर्ष था जब हज़रत ख़दीजा जैसी महान जीवन साथी का साथ छूट गया।
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पैग़म्बरे इस्लाम अपनी पैग़म्बरी का उद्देश्य, संसार में नैतिकता को उसके चरम पर पहुंचाना बताते हुए कहा करते थेः मुझे नैतिकता को संपूर्ण चरण तक पहुंचाने के लिए भेजा गया है।
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सूरए शूरा की आयत संख्या २ ३ में ईश्वर कहता है, ” कह दो कि अपने परिजनों से प्रेम के अतिरिक्त मैं तुमसे अपनी पैग़म्बरी का कोई बदला नहीं चाहता।