दुःख आ पडे़, कोई पाप, कर्म बन पडे़, भय की स्थिति में कामनाएं अपूर्ण रहने पर, भक्त के प्रति अपराध हो जाने पर, भक्त द्वारा अपना अपमान होने पर, भक्ति में मन न लगने पर, अंहकार की भावना उत्पन्न होने पर, अपने पोष्य वर्ग के पोषण की दृष्टि से, स्त्री-पुत्र शिष्य आदि के द्वारा अपमान होने अर्थात् हर स्थिति में भगवान् श्रीकृष्ण के प्रति शरण-भावना बनाए रखना चाहिए।