‘ उतीरामेरूर ' में ग्राम प्रशासन का अनोखी प्रजातंत्रीय मिसाल है, गांव के एक शिव मंदिर में दीवारों पर चारों तरफ संविधान की धाराओं की तरह ग्राम प्रशासन से संबंधित विस्तृत नियमावली उकेरी गई है जिसमें ग्राम सभा के सदस्यों के निर्वाचन व मतदान की विधियों का उल्लेख किया गया है।
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किन्तु यह भी देखना ज़रूरी होगा कि प्रजातंत्र में प्रजातांत्रिक नियमों, मूल्यों के विरूदध जाकर ही हिंसा के लिए प्रतिहिंसा की प्रजातांत्रिक सीमा कहाँ तक है इस वांछित प्रजातंत्रीय व्यवस्था में जिसे सरलीकरण कहते हुए दमन कहा जाता है, और विकास के लिए कितनी हिंसा, किस तरह की हिंसा, किन लौगों के द्वारा किनकी हिंसा? यदि हम लोकतंत्र की ओट में छुपकर उसकी दुहाई देकर, उसकी सरलताओं, सुविधाओं का फायदा उठाकर गैरलोकतंत्रीय कारोबार चलायेंगे तो हम खुद ब खुद संदिग्ध नहीं हो जायेंगे?