नेतनयाहू की इस प्रतिकि्रया का असर क्या होगा? क्या अब अमेरिका चुप्पी मारकर बैठ जाएगा? अभी तो ओबामा ने कोई कड़ी प्रतिकि्रया प्रगट नहीं की है और सिर्फ इतना ही कहा है कि मित्रें के बीच मतभेद तो रहते ही है | तो क्या ओबामा की सरकार सितंबर में फलस्तीन को मान्यता दे देगी? इस समय सबसे बड़ा मुद्दा यही है कि जब ब्राजील और क्यूबा जैस राष्ट्र सितंबर में संयुक्तराष्ट्र में फलस्तीन को मान्यता देने की बात कहेंगे तो अमेरिका का रूख क्या होगा?
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नेतनयाहू की इस प्रतिकि्रया का असर क्या होगा? क्या अब अमेरिका चुप्पी मारकर बैठ जाएगा? अभी तो ओबामा ने कोई कड़ी प्रतिकि्रया प्रगट नहीं की है और सिर्फ इतना ही कहा है कि मित्रें के बीच मतभेद तो रहते ही है | तो क्या ओबामा की सरकार सितंबर में फलस्तीन को मान्यता दे देगी? इस समय सबसे बड़ा मुद्दा यही है कि जब ब्राजील और क्यूबा जैस राष्ट्र सितंबर में संयुक्तराष्ट्र में फलस्तीन को मान्यता देने की बात कहेंगे तो अमेरिका का रूख क्या होगा?
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हर हमले के बाद सरकारी नेता अपना मुंह लटकाए हुए एक ही बयान देते हैं, जिसका मतलब होता है, ‘ अबकी बार तो तुम मार गए, अब देखते हैं, आगे कैसे मारोगे? ' इस रेडीमेड नुस्खे के बाद वे सीमा-पार आतंकवाद की पुडि़या खोल देते हैं | हर आतंकवादी घटना के बाद पुलिस, अस्पताल, मुआवज़े की स्टेन्डर्ड डि्र्रल चलने लगती है, जैसे कि किसी रेल या हवाई-दुर्घटना के बाद चलती है | यह है, सरकारी भारत की प्रतिकि्रया! और जनता के भारत का क्या हाल है?
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चीनी सरकार को अब पाकिस्तान से अपने संबंधों के बारे में पुनर्विचार करने पर मजबूर होना पड़ेगा | जैसे पाकिस्तानी आतंकवाद ने भारत को त्र्स्त किया हुआ है, वैसे ही अब वह चीन को कर रहा है | चीनी दूत को पाकिस्तानी विदेश मंत्रलय के आगे सफाई पेश करनी पड़ी है | शिंच्यांग की घटनाओं से भारत के हाथ मजबूत होंगे | दुनिया के सभी मुस्लिम राष्ट्रों में प्रतिकि्रया हो रही है | तुर्की के एक मंत्री ने तो चीन की कड़ी भर्त्सना की है और चीनी माल के बहिष्कार की अपील भी की है |