“ यह जानते हुए कि अंगेज सरकार कुछ भी न सुनेगी, मैंने सरकार को प्रतिज्ञा पत्र ही क्यों लिखा? क्यों अपीलों पर अपीलें तथा दया प्रार्थनायें की? इस प्रकार के प्रश्न उठते हैं, मेरी समझ में सदैव यही आया है कि राजनीति एक शतरंज के खेल के सम
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“ यह जानते हुए कि अंगेज सरकार कुछ भी न सुनेगी, मैंने सरकार को प्रतिज्ञा पत्र ही क्यों लिखा? क्यों अपीलों पर अपीलें तथा दया प्रार्थनायें की? इस प्रकार के प्रश्न उठते हैं, मेरी समझ में सदैव यही आया है कि राजनीति एक शतरंज के खेल के सम...
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यह जानते हुए कि अंगेज सरकार कुछ भी न सुनेगी, मैंने सरकार को प्रतिज्ञा पत्र ही क्यों लिखा? क्यों अपीलों पर अपीलें तथा दया प्रार्थनायें की? इस प्रकार के प्रश्न उठते हैं, मेरी समझ में सदैव यही आया है कि राजनीति एक शतरंज के खेल के समान है ।
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यह जानते हुए कि अंगेज सरकार कुछ भी न सुनेगी, मैंने सरकार को प्रतिज्ञा पत्र ही क्यों लिखा? क्यों अपीलों पर अपीलें तथा दया प्रार्थनायें की? इस प्रकार के प्रश्न उठते हैं, मेरी समझ में सदैव यही आया है कि राजनीति एक शतरंज के खेल के समान है ।
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इस कानून के तहत सरकार ने बिना न्यायालय के आदेश के भारतीय भाषाओं के प्रेस के मुद्रकों और प्रकाशकों को जमानत जमा करने तथा प्रतिज्ञा पत्र देने के आदेश दिए, ताकि वह ऐसी बातों का प्रकाशन नहीं करेंगे जिससे सरकार के प्रति घृणा उत्पन्न हो या समाज में वैमनस्य फैले।
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“ यह जानते हुए कि अंगेज सरकार कुछ भी न सुनेगी, मैंने सरकार को प्रतिज्ञा पत्र ही क्यों लिखा? क्यों अपीलों पर अपीलें तथा दया प्रार्थनायें की? इस प्रकार के प्रश्न उठते हैं, मेरी समझ में सदैव यही आया है कि राजनीति एक शतरंज के खेल के समान है ।
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देश को समझाने के लिए मिशनरियों को एक प्रतिज्ञा पत्र भरने के लिए दिया जाने लगा जिसकी भाषा इस प्रकार थी-मैं कानूनी रूप से गठित भारत सरकार का सम्मान करने तथा उसकी आज्ञा का पालन करने का विश्वास दिलाता हूं और यह भी कि मैं राजनीतिक मामलों में योगदान से सतर्कता पूर्वक अलग रहूंगा।
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“ यह जानते हुए कि अंगेज सरकार कुछ भी न सुनेगी, मैंने सरकार को प्रतिज्ञा पत्र ही क्यों लिखा? क्यों अपीलों पर अपीलें तथा दया प्रार्थनायें की? इस प्रकार के प्रश्न उठते हैं, मेरी समझ में सदैव यही आया है कि राजनीति एक शतरंज के खेल के समान है । ” अब आगे..
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“ यह जानते हुए कि अंगेज सरकार कुछ भी न सुनेगी, मैंने सरकार को प्रतिज्ञा पत्र ही क्यों लिखा? क्यों अपीलों पर अपीलें तथा दया प्रार्थनायें की? इस प्रकार के प्रश्न उठते हैं, मेरी समझ में सदैव यही आया है कि राजनीति एक शतरंज के खेल के समान है [...] अंतिम समय की बातें आत्म-चरित आत्मकथा खण्ड-4 अशफ़ाकउल्ला खाँ आर्डिनेन्स काकोरी षड़यन्त्र खुफ़िया पुलिस प्रतिज्ञापत्र बिस्मिल मृत्युदण्ड शाहज़हाँपुर हाईकोर्ट हिन्दु-मुसलमान अब तक आपने पढ़ा..
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बैठक के दौरान राजनैतिक पार्टियो के पदाधिकारियो को जिले में आने वाले प्रेक्षक, सभा-जुलूस, प्रचार-प्रसार वाहनो हेतु ली जाने वाली अनुमति, नाम निर्देशन फार्मो के साथ लिये जाने वाले प्रतिज्ञा पत्र व शपथ पत्र, मान्यता प्राप्त व गैर मान्यता प्राप्त राजनैतिक दलो द्वारा प्रज्ञापित अभ्यर्थियो की सूचना, नाम निर्देशन पत्र के साथ प्रस्तुत शपथ पत्रो का प्रदर्शन, अभ्यर्थिता वापिस लिया जाना, चुनाव चिन्ह का आवंटन के बारे में विस्तार से बताया गया।