जो रोगी है, अस्वस्थ है, बदसूरत है, प्रतिभाहीन है, जिसमें रचनाशीलता नहीं है, जो घटिया है, जो मूर्ख है, ऐसे सभी लोग वर्चस्व स्थापित करने के मामले में काफी चालाक होते हैं।
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जिन मित्रों ने कहा होगा कि तुम्हारी रचनाओं पर तो अकादमी हँस कर अनुदान देगी वही कहने लगेंगे कि ' कैसे-कैसे प्रतिभाहीन लोग अपने पैसे से किताबछपा कर लेखक बन जाते हैं।
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जो रोगी है, अस्वस्थ है, बदसूरत है, प्रतिभाहीन है, जिसमें रचनाशीलता नहीं है, जो घटिया है, जो मूर्ख है, ऐसे सभी लोग वर्चस्व स्थापित करने के मामले में काफी चालाक होते हैं।
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जो रोगी है, अस्वस्थ है, बदसूरत है, प्रतिभाहीन है, जिसमें रचनाशीलता नहीं है, जो घटिया है, जो मूर्ख है, ऐसे सभी लोग वर्चस्व स्थापित करने के मामले में काफी चालाक होते हैं।
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खासकर विश्वविद्यालयों के हिंदी विभाग के प्राध्यापक कहे जाने वाले मसखरे तो प्रतिभाहीन नकलचियों को ' फंटूशलाल जी की कविताओं में स्त्री-विमर्श' सरीखे निरर्थक विषयों पर पीएचडी की डिग्री बाँटने में ही व्यस्त हैं।
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नामवर सिंह को प्रतिभाहीन तो कोई नहीं कह सकता किन्तु किसी पुस्तक-प्रकाशक की, भले ही वह सोवियत-समर्थित क्यों न रहा हो, नौकरी करनेवाले अपने ढंग के वे पहले हिंदी आलोचक थे.
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खासकर विश्वविद्यालयों के हिंदी विभाग के प्राध्यापक कहे जाने वाले मसखरे तो प्रतिभाहीन नकलचियों को ‘ फंटूशलाल जी की कविताओं में स्त्री-विमर्श ' सरीखे निरर्थक विषयों पर पीएचडी की डिग्री बाँटने में ही व्यस्त हैं।
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जहाँ बॉलीवुड की नायिकाएँ प्रतिभाहीन होने के बावजूद कहती हैं कि वे सभी तरह की भूमिकाएँ निभा सकती हैं, वही कंगना ईमानदारी से स्वीकारती हैं कि हास्य भूमिका निभाना उनके बस की बात नहीं है।
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फिर पूछा ही क्यों जाता है प्रतिभाहीन दैत्यों के परम हर्ष का रहस्य? बेकार, अर्थहीन (ऐसी व्याख्याएँ हुई हैं)-प्रकट होगी घास या कुछ और नया फोन करना कभी भी।
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साहित्य में कोई भी आन्दोलन सम्बद्ध विधा की रचनाओं का विस्तार तो करता है, परन्तु उसमें असाहित्यिक तथा अस्तरीय रचनाओं का जमघट लग जाता है और धीरे-धीरे ऐसे प्रतिभाहीन लेखक आन्दोलन की हत्या कर देते हैं।