इसी प्रकार उक्त साक्षीगण प्रति परीक्षण के दौरान यह बताने में पूर्णतः असमर्थ रहे हैं कि मीटर की सील टूटी होने पर भी उनके द्वारा सील का जॉंच पंचनामा क्यों नहीं बनाया गया।
42.
बचाव पक्ष की तरफ से यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि श्री सिंह ने अपने प्रति परीक्षण में स्वीकार किया गया है कि वादी उन्हें मुकदमा दर्ज होने के बाद गेट पर मिला था।
43.
इस संबंध में उल्लेखनीय है कि इन तीनों गवाहों ने अपने प्रति परीक्षण में विस्तार से बताया है कि घटना के विषय में इन लोगों ने पंचनामा के समय दारोगा जी को बता दिया था।
44.
प्रति परीक्षण में इस साक्षी के उक्त कथन का कोई खण्डन नहीं किया गया हैं तथा इसकी पुष्टि उप निरीक्षक पी. आर. सांकरे अ. सा-3 और प्रथम सूचना रिपोर्ट प्रदर्श पी-1 से भी होती हैं।
45.
वादी के कथन का प्रतिवादीगण ने प्रति परीक्षण में कोई खण्डन नहीं किया गया हैं, अतः यह तथ्य प्रमाणित हैं कि वादी ने प्रतिवादी से दुकान व गोडाउन किराये से वर्ष 1967 में लिया था।
46.
प्रति परीक्षण में इस साक्षी ने कथन किया है कि, "वह पढ़ी लिखी नहीं है, उसकी लड़की लक्ष्मी देवी ने माइके में आकर कभी भी उससे अपनी सास व ननर के बारे में कुछ नहीं कहा।
47.
इस संबंध में अभियुक्तगण के विद्वान अधिवक्ता द्वारा प्रति परीक्षण किये जाने पर मृतक संत ज्ञानेश्वर के भाई वादी ने यह स्वीकार किया है कि एक आनन्द मोहन श्रीवास्तव जिला गोपालगंज बिहार में सहायक जिला विकास अधिकारी थे।
48.
प्रति परीक्षण में इस साक्षी के उक्त कथन का कोई खण्डन नहीं किया गया हैं तथा इसकी पुष्टि ए. एस. आई. चन्द्रवीर सिंह राठौर अ. सा.-3 और उसकी लेखबद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट प्रदर्श पी-1 से भी होती हैं।
49.
इस साक्षी नेअपने प्रति परीक्षण में स्वीकार किया कि कथित अभियुक्तगण की गाडी टाटा विक्टा वस्तु प्रदर्श-3 की हेड लाइटें नही थी, आगे व पीछे का बम्पर व गार्ड टूटा हुआ था बायें तरफ साइड प्लेट टूटी हुई थी।
50.
यह मुझे ले के बारे में 30 मिनट के सभी के लिए यह पहली बार के लिए लागू है, और मैं यह मुझे अधिक से अधिक 5 मिनट लेने के प्रति परीक्षण आगे जा रहा होगा कल्पना नहीं कर सकते.