शायद इसलिए, की उस समय कोमल हृदया नारी ने खुद ही प्रधान स्थान न लेकर गृह संचालन की नेपथ्य के पीछे से होने वाली, परन्तु अतिमहत्वपूर्ण बागडोर संभाली | मेरा अपना मानना यह है की यदि स्त्री भी अपनी महत्वाकांक्षाओं को दरकिनार न कर ये भार न संभालती, तो समाज जैसी कोई इकाई कभी बन ही नहीं पाती |
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इस युग में साहित्य के बाह्म रूप पर ही विशेष ध्यान दिया जाता था, ग्रीक रोमन कृतियों का भद्दा अनुकरण हो रहा था, कविता में मस्तिष्क् की प्रधानता हो गई थीं, अलंकारों के भार से वह बोझिल हो गई थी, एक प्रकार का शब्दों का खिलवाड़ ही प्रधान अंग हो गया था एवं कहने के ढंग ने ही प्रधान स्थान ले लिया था।
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इस युग में साहित्य के बाह्म रूप पर ही विशेष ध्यान दिया जाता था, ग्रीक रोमन कृतियों का भद्दा अनुकरण हो रहा था, कविता में मस्तिष्क् की प्रधानता हो गई थीं, अलंकारों के भार से वह बोझिल हो गई थी, एक प्रकार का शब्दों का खिलवाड़ ही प्रधान अंग हो गया था एवं कहने के ढंग ने ही प्रधान स्थान ले लिया था।