पटना ः-हम खाद्य सुरक्षा कानून को राज्य में प्रभावकारी तरीके से लागू करना चाहते हैं, इसके लिये बुनियादी और प्रारंभिक तैयारी कर रहे हैं। चार-छह माह का समय इसे लागू करने में लग सकता है। जिस दिन से यह लागू होगा, उस दिन से लाभुकों को यह सुरक्षा प्राप्त करना कानूनी अधिकार हो []
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इस समझौते के तहत भारतीय सूचना सेवा (आईआईएस) कैडर के अधिकारी ब्रिस्बेन के क्यू. यू. टी में सोशल मीडिया और आधुनिक तकनीक का प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे ताकि उनके अंदर आधुनिक मीडिया की बारीक समझ विकसित हो सके और वो सरकारी की पालिसियों को प्रभावकारी तरीके से जनता तक पहुंचा सकें.
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नयी दिल्ली में उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों और मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन के शुरुआती सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जब तक सरकार की तीनों शाखाएं एक-दूसरे के साथ बेहतर तारतम्यता बिठाते हुए काम नहीं करती हैं, वे देश और लोगों के हितों पर प्रभावकारी तरीके से काम करने में सक्षम नहीं हो सकती हैं।
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3. प्रो. माइकल जे ज्यूसियस के अनुसार, ` प्रबंध का वह क्षेत्र है जो कि श्रम शक्ति की प्राप्ति, संधारण तथा प्रयोग करने की क्रिया के संबध में नियोजन, संगठन, निदेशन तथा नियन्त्रण का कार्य करे, जिससे कि-(अ) कंपनी अपने संस्थापन के उद्देश्यों को मितव्ययिता तथा प्रभावकारी तरीके से प्राप्त कर सके।
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उपरोक्त परिभाषाओं का अध्ययन करने के पश्चात् कहा जा सकता है कि ` मानव संसाधन प्रबंध, प्रबंध की वह महत्वपूर्ण शाखा है जिसके अन्तर्गत संगठन के उद्देश्यों को मितव्ययिता पूर्ण व प्रभावकारी तरीके से प्राप्त करने के उद्देश्य से संगठन के विभिन्न स्तरों हेतु मानव संसाधनों को प्राप्त करके, विकास करने व उन्हें सन्तुष्टि प्रदान करते हुए संधारित करने के लिए प्रबंधकीय विधियों का प्रयोग किया जाता है।
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इस विवाद को, जिसमें कुछ लोग स्वतंत्र संगणना की वकालत करते थे और कुछ लोग यहूदी कैलेंडर पर आश्रित रहने की रीति को आगे बाधना चाहते थे, 325 में (नीचे देखें) नाईसीया की पहली सभा में औपचारिक रूप से सुलझा लिया गया, इस सभा ने स्वतंत्र संगणना का समर्थन किया, और जिन जगहों पर आज भी यहूदी समुदायों द्वारा परामर्श लेने की पुरानी रीति चल रही थी उसका प्रभावकारी तरीके से परित्याग करने को कहा.
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इस विवाद को, जिसमें कुछ लोग स्वतंत्र संगणना की वकालत करते थे और कुछ लोग यहूदी कैलेंडर पर आश्रित रहने की रीति को आगे बाधना चाहते थे, 325 में (नीचे देखें) नाईसीया की पहली सभा में औपचारिक रूप से सुलझा लिया गया, इस सभा ने स्वतंत्र संगणना का समर्थन किया, और जिन जगहों पर आज भी यहूदी समुदायों द्वारा परामर्श लेने की पुरानी रीति चल रही थी उसका प्रभावकारी तरीके से परित्याग करने को कहा.