1862 में पुरातात्विक सर्वेक्षण की स्थापना के बाद उन्होंने भारत में प्रागैतिहासिक मानव अवशेषों का प्रथम सिलसिलेवार शोध कार्य शुरू किया और 1863 में यहां हाथ की कुल्हाड़ियों की पहली खोज की, उत्खनन-सुविधा के बिना ही सिर्फ़ सतह पर मौजूद अवशेषों और क्षेत्रों के अवलोकन से वह भारत के प्रागैतिहासिक काल की काफ़ी हद तक सटीक पुनरर्चना कर पाते थे।