| 41. | उपरोक्त प्रारूप से स्पष्ट है कि सूचना का प्रवाह संचारक से प्रापक की ओर होता है।
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| 42. | यहीं कारण हैं कि उलझाऊ तथा मुहावरा युक्त संदेश को प्रापक नजर अंदाज कर देता है।
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| 43. | इसी प्रकार उसकी बात को सुनते समय संचारक की भूमिका बदलकर प्रापक की हो जाती है।
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| 44. | इस दृष्टि से खरा न उतरने वाले संचारकों को प्रापक शीघ्र ही नजर अंदाज करने लगते हैं।
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| 45. | संचार मार्ग के सम्प्रेषित सूचना को प्रापक आंखों से देखकर तथा कानों से सुनकर ग्रहण करता है।
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| 46. | प्रापक को संग्राहक, ग्रहणकर्ता, प्राप्तकर्ता, रिसीवर, डिकोडर इत्यादि नामों से जाना जाता है।
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| 47. | सरल व सामान्य शब्दों में सम्प्रेषित संदेश के अर्थो को समझने में प्रापक को परेशानी नहीं होती है।
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| 48. | (6) किसी बात पर असहमति की स्थिति में प्रापक को हस्तक्षेप करने का मौका मिलता है।
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| 49. | प्रापक देखकर, सुनकर, स्पर्श कर, सुंघ कर तथा चखकर संदेश को ग्रहण कर सकता है।
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| 50. | यह भूमिका प्रेषक, संदेश, संचार माध्यम एवं प्रापक इत्यादि के रूप में जुड़ी हो सकती है।
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