| 41. | अत: ज्ञान से ही ज्ञाननिष्ठ प्रामाण्य का भी ग्रहण होता है।
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| 42. | अत: ज्ञान से ही ज्ञाननिष्ठ प्रामाण्य का भी ग्रहण होता है।
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| 43. | बादरायण ने भी प्रामाण्य में परापेक्षा को स्वीकार नहीं किया है।
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| 44. | तद्वचनादाम्नायस्य प्रामाण्यम् ” अर्थात् तद्वचन होने से वेद का प्रामाण्य है।
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| 45. | इसी तरह प्रमाणों का प्रामाण्य भी प्रामाणान्तर से सिद्ध होता है।
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| 46. | भारतीय परंपरा में नास्तिक का अभिप्राय वेद को प्रामाण्य मानने से है.
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| 47. | ज्ञान का प्रामाण्य स्वत: ग्राह्य है अथवा परत: ग्राह्य है।
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| 48. | अत: ज्ञान से ही ज्ञाननिष्ठ प्रामाण्य का भी ग्रहण होता है।
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| 49. | इसी प्रसंग में प्रमाणों का प्रामाण्य स्वत: उत्पन्न और स्वत: गृहीत होता है।
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| 50. | भारतीय परंपरा में नास्तिक का अभिप्राय वेद को प्रामाण्य मानने से है.
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