उसी यात्रा में हम सभी के साथ उर्मिला दीदी, जीजाजी और स्वयम बाबुजी उस जमीन पर गये जो जीजाजी ने अपना घर बनवाने के लिए खरीदा था! वे उस जमीन को प्लिंथ की ऊँचाई तक उठा कर उसमे मिटटी और कंक्रीट का चूरा भरवा चुके थे! उसपर एक तरफ से चढ़ने का मिटटी का ढेर था! बाबुजी उस जमीन पर चढ़े और उसके हर कोने कोने में घूम गए चारों तरफ के दृश्यों को देख बहुत प्रसन्न हुए!