-डॉ. अशोक प्रियरंजन ज्ञानपुर के गांधी उद्यान में स्थापित राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा पर ३ ० मई की रात कुछ शरारती तत्वों ने शराब की बोतल फोड़कर एक फटा-पुराना कंबल लपेट दिया।
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चार साल पहले जिस रास्ते पर डॉन सिसेरियो ने भिखारी को मारा था, ठीक उसी रास्ते पर वह चला आ रहा था ; वही चिथड़े कपड़े, भूरा ओवरकोट, बेढंगा स्ट्रॉ हैट और वही फटा-पुराना बोरा।
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इससे तो अच्छा ये होगा कि यदि कोई बालक फटा-पुराना कपड़ा या निर्वस्त्र होकर गलियों या सड़कों पर घूमता हुआ दिखाई दे तो सीधा उसे खतम कर दिया जे या किसी गाड़ी के नीचे कुचल दिया जाय ।
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इससे तो अच्छा ये होगा कि यदि कोई बालक फटा-पुराना कपड़ा या निर्वस्त्र होकर गलियों या सड़कों पर घूमता हुआ दिखाई दे तो सीधा उसे खतम कर दिया जे या किसी गाड़ी के नीचे कुचल दिया जाय ।
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(पुरुँष अन्न के आभाव में लुगरी, अर्थात् चिथड़ा, फटा-पुराना कपड़ा, कमजोर वस्र की तरह खस्ताहाल हो जाता है, और स्री पति के बिना पइया (बिना दःाना की छ्मिी, पट््टा!) की तरह जर्जर, खोखला, निरस या बेदःम हो जाती है।
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इस दौरान महिलाओं को 3 दिन तक अलग से बर्तन में दूर से खाना परोसा जाता है, बिस्तर के नाम पर एक अदद फटा-पुराना कंबल, तलाई या फिर बिछाने के लिए धान की घास दी जाती है।
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(पुरुँष अन्न के आभाव में लुगरी, अर्थात् चिथड़ा, फटा-पुराना कपड़ा, कमजोर वस्त्र की तरह खस्ताहाल हो जाता है, और स्री पति के बिना पइया (बिना दाना की छ्मिी, पट्टा!) की तरह जर्जर, खोखला, निरस या बेदम हो जाती है।
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इसे जल्दी से भीतर रख दो और कोई फटा-पुराना बिस्तर लाकर यहाँ रख दो।“ एक रिश्तेदार ने कहा, ”सुना है कि कुछ लिखते विखते भी थे।“ मेरे एक लेखक मित्र ने कहा, ”लिखता क्या था, अपने आपको लेखक दिखाता था।
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आज रेल भवन में यह चर्चा बड़ी जोर से थी की विदाई के समय सम्मलेन कक्ष में रेलवे बोर्ड का कहीं कोई चपरासी श्री सहाय पर अपना फटा-पुराना जूता या चप्पल न फेंक दे, इसलिए यह नजारा देखने की उत्सुकता में सम्मलेन कक्ष में विदाई के समय आज अन्य तारीखों की अपेक्षा काफी भीड़ थी.
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आज रेल भवन में यह चर्चा बड़ी जोर से थी की विदाई के समय सम्मलेन कक्ष में रेलवे बोर्ड का कहीं कोई चपरासी श्री सहाय पर अपना फटा-पुराना जूता या चप्पल न फेंक दे, इसलिए यह नजारा देखने की उत्सुकता में सम्मलेन कक्ष में विदाई के समय आज अन्य तारीखों की अपेक्षा काफी भीड़ थी.