(फूका या डूमडेव का अर्थ है कि दुधारू गाय या पशु के फिमेल ओर्गन में हवा भरना या ऐसा यंत्र लगाना जिससे दूध को खींचा जा सके-रीसा जा सके) साथ ही धारा 13 में यह भी प्रावधान है कि ऐसे दुख देखने वाले पशु को उसके स्वामी के खर्च पर तुरंत नष्ट कर दिया जाए।
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अटटाहास करता, मुखौटा हुआ राम, मन में मुस् कुराता, मंद मंद रावण गर्वित राम पूतले को जला कर मन में हर्षित रावण को पाकर परछाईयों का है ये खेल सीता का अग्नि स् नान फिर छायां जानकी से मेल असत् य फूका जाता है और मन में सीता को दर्शाकर जन मानस भी तो लूटा ही जाता है।
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इन्दौर में होलकर के खिलाफ प्रजा मण्डल के माध्यम से जंग-ऐ-आजादी की लड़ार्इ ललितपुर जनपद के ननौरा ग्राम के निवासी पंडित बालकृष्ण अगिनहोत्री एवं उनके छोटे भार्इ प्रेम नारायण ने लड़ी तो पंडित परमानन्द ने राठ से चलकर अण्डमान की जेलों तक आजादी का बिगुल फूका लेकिन इन्ही सबके बीच एक सहयोगी की भूमिका निभाने वाला ललितपुर का परमानन्द मोदी जीवन के अनितम पड़ाव पर अपनी पहचान के लिये दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर है।
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डॉ अजित गुप्ता और समीर जी ने अच्छी सलाह दी है-आपने कुछ बातें बिलकुल माकूल कही हैं-कुछ लोग टिप्पणियों पर अंकुश न लगाकर अपने मन की बात दूसरे दिलजलों से कहलवाने का मौका देते हैं या खुद भी कुछ टिप्पणियाँ अनाम बन कर करते हैं-मैं भुक्त भोगी रह चुका हूँ-एक सम्प्रति दिल्लीवासी स्वघोषित बुद्धिजीवी ने अपने ब्लॉग पर मेरे विरुद्ध बिगुल फूका और सारे दिल जले टिप्पणियाँ करते रहे और वे मानो उनका इंतज़ार करते रहे....
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डॉ अजित गुप्ता और समीर जी ने अच्छी सलाह दी है-आपने कुछ बातें बिलकुल माकूल कही हैं-कुछ लोग टिप्पणियों पर अंकुश न लगाकर अपने मन की बात दूसरे दिलजलों से कहलवाने का मौका देते हैं या खुद भी कुछ टिप्पणियाँ अनाम बन कर करते हैं-मैं भुक्त भोगी रह चुका हूँ-एक सम्प्रति दिल्लीवासी स्वघोषित बुद्धिजीवी ने अपने ब्लॉग पर मेरे विरुद्ध बिगुल फूका और सारे दिल जले टिप्पणियाँ करते रहे और वे मानो उनका इंतज़ार करते रहे....
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समाजवादी पार्टी द्वारा पैट्रो पदार्थो के दामो मे वुद्वि, एल. पी. जी पर सब्सीडी खत्म करने को लेकर किये गये गये केन्द्र सरकार के फैसलो के विरोध मे भारत बंद के सर्मथन मे स्थानीय सपा लोहियावाहिनी के सदस्यो ने गुफरान खँा के नेतृत्व मे पुलिस चैंकी के सामने विरोध प्रदर्शन कर केन्द्र सरकार का पुतला फूका एवं उक्त जन विरोधी निर्णय को वापस लेने की मांग की प्रर्दशन मे गुडडू खांन, गुलजार खान, अबरार, गुफरान खां सलीम आदि कार्यकर्ता प्रमुख रूप से शामिल थे।
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ब्रिटिश काल मे भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम हेतु राष्ट्रवादी विचार की अवधारणा जिन महापुरुषों ने रखी उसमे यदि कहा जाय तो केवल और केवल महर्षि दयानन्द सरस्वती और स्वामी विवेकानंद का ही नाम उल्लेखनीय है जिनके प्रेरणा श्रोत आदि शंकर थे, इन्हीं महापुरुषों के प्रखर देश-भक्ति विचार ने देश आज़ादी का महामंत्र फूका जिसमे हजारों क्रांतिकारियों ने अपने को बलिदान किया लेकिन देश की क्षितिज पर जो लंबे समय तक छाए रहे जिंहोने देश को नेतृत्व दिया उसमे लोकमान्य बालगंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय और बिपिनचन्द्र पाल प्रमुख थे जो देश के अलग-अलग सीमांत प्रान्तों से थे।