सैकड़ों सोई हुई क़ब्रों के बीच वह अकेली क़ब्र थी जो ज़िन्दा थी कोई अभी-अभी गया था एक ताज़ा फूलों का गुच्छा रखकर कल के मुरझाए हुए फूलों की बगल में
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जब सारा कार्य पूर्ण हो जाता है तो घर का बड़ा आने वालों से कह देता है कि जिसे जो जो फूलों का गुच्छा पसन्द आ जाए, ले जा सकता है।
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थोड़ी देर रुकने के बाद जब मुझसे रहा नहीं गया तो उसके पास गया, उसने बड़े प्यार से एक छोटा सा फूलों का गुच्छा वाला एक गुलदस्ता दिया और बोला भैया बस 23 रुपये का है.
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बाँध लाए थे तुम एक फूलों का गुच्छा तब से नित्य देखती हूँ-गुलदान की ऊँची प्राचीरों में कांच की दीवारों में, गलते-सूखते-घुटते गुलाब को और चकित होती हूँ! किसी की व्यथा से पगे उदगार कैसे हो सकते हैं मुझे उपहार?