भास्कर न्यूज-!-जगराओं त्योहारों के मद्देनजर सिविल अस्पताल जगराओं के एसएमओ डॉ. कर्मवीर गोयल द्वारा सिविल सर्जन डॉ. सुभाष बत्ता के निर्देश पर टीम गठित कर शहर के नामी हलवाइयों की दुकानों पर मिठाई की जांच की।
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सुभाष बत्ता के निर्देश पर सेहत विभाग की टीम ने वार्ड नंबर-37 से 39 तक और 14 और 15 के अलावा खुड्ड मोहल्ला, न्यू कीर्ति नगर, बेअंत पुरा आदि इलाकों में बैठक करके लोगों को जागरूक किया।
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बत्ता ने कहा कि यदि मान को अपने सामने अपना पुतला फूंक होते देखने का इतना ही शौक है तो वे फिर कभी समय तय कर आ जाएं संघ कार्यकर्ता उनके ही हाथों उनका पुतला फूंकने के लिए तैयार हैं।
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तो पुलिस वाले बोले “ भाई के बतावै, थमनैं थारी पड़ री सै, हमनैं म्हारी, बत्ता तो दी तन्नै कि पीएम आरे हैं किसनैं पत्ता सै कि अस्पताल का मरीजहै कै आंतकवादी? सुरक्षा तो तगड़ी रखनी पडै है ” ।
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उक्त धनराशि में से आधी धनराशि याची सं01 श्रीमती प्रेमलता नागपाल नकद प्राप्त करने की अधिकारी होंगी तथा शेष धनराशि में 2 / 3 धनराशि याची सं02 रवि नागपाल व 1/3 हिस्से की धनराशि याची सं0 3 श्रीमती अनुराधा बत्ता नगद प्राप्त करने की अधिकारी होंगी।
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चूंकि श्रीमती प्रेमलता मृतक की पत्नी है इसलिये उन्हे कुल धनराशि का आधा भाग दिलाया जाना न्यायोचित है तथा शेष धनराशि में से 2 / 3 हिस्सा रवि नागपाल याची सं0 2 व 1/3 हिस्से की धनराशि याची सं03 श्रीमती अनुराधा बत्ता नगद प्राप्त करने की अधिकारी होगी।
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एक साइड से लफ़त्तू की दबी सी आवाज़ आती: “ जित का बत्ता इत्ता बुड्डा है वो गंगा कित्ती बुड्डी होगी बेते! दला पूतो तो प्याली मात्तर ते! ” गंगाप्रसाद ' गंगापुत्र ' के कानों पर जूं भी नहीं रेंगती और उनका प्याली गंगे पुराण रेंगता जाता.
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फगवाड़ा-!-राष्ट्रीय हिंदू संघ प्रमुख अभिषेक बत्ता ने शिरोमणि अकाली दल ((अ)) प्रमुख सिमरनजीत सिंह मान के उस बयान का सख्त नोटिस लिया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि रविवार को जब हिंदू संगठन उनका पुतला फूंक रहे थे तो उन्हें भी बुला लेते क्योंकि वे उस समय फगवाड़ा में ही मौजूद थे।
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फिर कवि कैता है कि प्याली गंगे, हमने तुज पे कित्ते अत्याचार किए...“ एक साइड से लफ़त्तू की दबी सी आवाज़ आती: ”जित का बत्ता इत्ता बुड्डा है वो गंगा कित्ती बुड्डी होगी बेते! दला पूतो तो प्याली मात्तर ते!” गंगाप्रसाद 'गंगापुत्र' के कानों पर जूं भी नहीं रेंगती और उनका प्याली गंगे पुराण रेंगता जाता.
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फिर कवि कैता है कि प्याली गंगे, हमने तुज पे कित्ते अत्याचार किए...“ एक साइड से लफ़त्तू की दबी सी आवाज़ आती: ”जित का बत्ता इत्ता बुड्डा है वो गंगा कित्ती बुड्डी होगी बेते! दला पूतो तो प्याली मात्तर ते!” गंगाप्रसाद 'गंगापुत्र' के कानों पर जूं भी नहीं रेंगती और उनका प्याली गंगे पुराण रेंगता जाता.