आपराधिक प्रकरण संख्या 60 / 2005-31-राज्य विरूद्ध कृष्णमुरारी अभियुक्त के कार्यालय में उसके बैठने के स्थान के पीछे रखी लोहे की आलमारी से हांलाकि इस मामले में राशि 800/-रूपये बरामद करना अभियोजन पक्ष के गवाहों ने कहा है लेकिन मात्र बरामदगी को साबित करना ही रिश्वत के मामले में पर्याप्त नहीं है बल्कि रूपयों की बरामदगी परिस्थितिजन्य साक्ष्य से भी समर्थित होनी चाहिये।
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जबकि श्री भूप सिहं पी0डब्ल्यू0-5 द्वारा किसी महिला को मौके पर नहीं होना कहा गया है और चिकित्सक द्वारा कोई भी चोट धारदार हथियार से आना नहीं कहा गया है और विवेचक श्री जगदीश गिरी, पी0डब्ल्यू0-6 द्वारा हयात सिहं की निशानदेही पर माल बरामद करना व नारायण सिहं चपरासी, देवीदत्त व पटवारी खटोली की निशानदेही पर ही नक्शा-नजरी घटनास्थल तैयार करना कहा गया है।
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टेªप कार्यवाही के लिये पहले दिनांक 18-4-2003 को जाना और अभियुक्त रतनसिंह के नहीं मिलने पर दुबारा दिनांक 21-4-2003 को टेªप कार्यवाही आयोजित करना, टेªप कार्यवाही के दौरान अभियुक्त की जेब से 1700/-रूपये फिनोफथलिन पाउडर युक्त राशि बरामद करना और बरामदगी के बाद अभियुक्त के हाथों और जेब को सोडियम कार्बोनट के घोल में घुलवाने पर उसमें हल्का गुलाबी रंग आना कथन किया हैं।
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टेªप अधिकारी जेताराम ने भी प्रथम सूचना रिपोर्ट पेश होने के बाद मांग का सत्यापन कर टेªप कार्यवाही आयोजित किये जाने और टेªप के दोरान अभियुक्त स्वर्णसिंह के रिहायसी मकान के स्टोर में से एक हजार रूपये बरामद करना कथन किया, जबकि फर्द जब्ती प्रदर्श पी. 6 के मुताबिक आरोपी के रिहायसी मकान के स्टोर की पचीत पर से 900/-रूपये बरामद होने का अंकन है।
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पत्रावली पर उपलब्ध दस्तावेजों से यह बात स्पष्ट है कि घटना के लगभग पांच माह बाद मुलजिमान को पकड़ा गया है जबकि जनवरी 1999 में पी0ड0-8 के अनुसार तफ्दीष रेगुलर पुलिस को हस्तान्तरित कर दी गई थी, पत्रावली पर अभियुक्तगण की निषानदेही पर हत्या में प्रयुक्त हथियार बरामद करना बताया गया है और यह भी बताया गया है कि मुलजिमान ने गांव वालों के सामने अपना जुर्म स्वीकार किया था।
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सीबीआई के सामने मुश्किलें क्या आई-सीबीआई ने हालांकि नहरी क्षेत्र में सशस्त्र बल लगा दिया है, लेकिन इतने दिन बीतने के बाद क्या हडिडयां और राख नहर से बरामद हो पाएगी, हालांकि राजीव गांधी लिफ्ट कैनाल से बरामद करना और न्यायालय में मजबूत साक्ष्य रखना जिसमें हत्या में प्रयुक्त हथियारों को अदालत में पेश करना होगा, अगर कमजोर साक्ष्य साबित हुए तो आरोपी न्यायालय से सजा पाने से बच सकते हैं.
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इस साक्षी के इस बयान का बहुत महत्व है क्योंकि लडकी को दिनॉक 3. 8.06 को बरामद करना बताया गया है उसके बाद दिनॉक 4.8.06 को कुमारी रोषनी का मेडिकल परीक्षण हुआ है स्वयं रोषनी के इस बयान से यह सिद्ध हो जाता है कि दिनॉक 4.7.06 को जब उसका मेडिकल परीक्षण हुआ तो उससे करीब चौदह-पन्द्रह दिन पहले उजल दास जेल चला गया था और न्यायिक अभिरक्षा मे था और चौदह-पन्द्रह दिन मे उसके द्वारा सम्भोग किया जाना सम्भव नही है।
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परिवादी सुरेन्द्र वैष्णव ने प्रथम सूचना रिपोर्ट प्रदर्श पी. 1 में आरोपी द्वारा रिश्वत मांगने का जो आरोप लगाया गया उस मांग को सत्यापन के बाद टेªप अधिकारी ने टेªप कार्यवाही आयोजित कर बरामदगी रिश्वत राशि के सम्बन्ध में साक्ष्य दी और टेªप अधिकारी के साथ गये सभी पुलिसकर्मी गवाहों ने टेªप अधिकारी द्वारा टेªप आयोजित कर टेªप के दौरान आरोपी के घर से टेबल पर रखी नमकीन और पानी की टेª के नीचे से रिश्वत राशि 18,000/-बरामद करना कथन किया।
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अभियुक्त के पास से बरामद माल को थाने में लाकर उसे थानाध्यक्ष द्वारा पुनः अपनी सील से सील कर उसे सुरक्षित मालखाने में रखा गया था इस सम्बन्ध में कोई साक्ष्य अभियोजन द्वारा प्रस्तुत नहीं किया गया है न इस बात की कोई फर्द बनायी गयी है इसलिए यह तथ्य भी सिद्व नहीं है कि जो माल अभियुक्त के पास से बरामद करना बताया गया है उसे ठीक ढंग से सीलकर थाने के मालखाने में रखा गया उसी माल को न्यायालय में नमूना लेने हेतु ले जाया गया।
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यह बात भी गौर तलब है कि जो कथित तमंचा, खोखा एवं कारतूस बरामद करना बताया गया है उस तमंचे का कोई परीक्षण बैलेस्टिक विषेषज्ञ से नहीं कराया गया है जिसकी रिपोर्ट यह साबित करती कि वास्तव में इसी तमंचे से फायर किया गया है क्योंकि प्रस्तुत केस में किसी भी पुलिस पार्टी को कोई आग्नेय अस्त्र की चोटें नहीं आई हैं जबकि 20-22 कदम की दूरी से फायर करना बताया गया है और पुलिस पार्टी पर ही फायर करना बताया गया है तथा कारतूस 315 बोर का बताया गया है जोकि फायर में इस्तेमाल हुआ।