उस के हाथ मशीनवत चल रहे थे, कपड़े तह कर के रखते और अलमारी सही करते करते रात के 12 बज गए थे, अभी बर्तन धोना बाकी थी वो डिश वॉशर में बर्तन कम ही धोती थी पर आज वो बहुत थक गई थी और उस को भूख भी लग गई थी अतः उसने बर्तन डिश वॉशर में डाल दिए.
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हाल ही में मैं एक महिला से मिली, जो अपने सारे कार्य स्वयं करती हैं जैसे की, ज़मीन पर बैठ कर खाना पकाना, हाथ से कपड़े, बर्तन धोना और अपने घर का पूरा झाड़ू-पोंच्छा खुद अपने आप ही करना! वे कहती हैं की इससे उन्हे अन्य महिलाओं की तरह किसी तरह का पीठ दर्द, कमर दर्द, मोटापा, ब्लड प्रेशर आदि शिकायत नहीं रहती है!
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वहाँ अलग-अलग काम निर्धारित किये जाते हैं जैसे-बर्तन धोना, सफाई करना, गाड़ियों को कैसे लगाया जाये? पार्किग प्लेन बनाना (वहाँ इतनी गाड़ियाँ आती हैं ऐसे लगता था जैसे वहाँ समुद्र आगया है या उस में बाढ़ आगयी है) मार्ग दिखाना, बग्गी चलाने वाले व मार्ग-दर्शक युवक, वी ० आई ० पी ० अतिथियों का स्वागत करने वाले, रास्ता दिखाने वाले नक्शे बनाने वाले, कम्प्यूटर को निर्देश देने के लिये कार्यक्रम बनाना।