अन्तर्गामी शक्ति से प्रॉण का सृजन होता है और बहिर्गामी शक्ति के प्रबल होने पर जड-स्फोट होता है जिसमें पदार्थ छिन्न-भिन्न होकर अपने से सम्बन्धित घटकों में लीन हो जाता है, यह स्फोट तत्कालिक और क्रमिक होता है।
42.
तकनीकी क्षमताएं, श्रम आवश्यकताएं, मजदूर सुरक्षा, रख-रखाव की क्षमताएं, सेवा प्रदान करने की क्षमता, विश्वसनीयता, पैकेजिंग लाइन में एकीकृत हो जाने की क्षमता, पूंजी लागत, सतही स्थान, लचीलापन (प्रणाली परिवर्तन, सामग्री, आदि), उर्जा प्रयोग, बहिर्गामी पैकेजों की गुणवत्ता, योग्यता (खाद्य पदार्थों, औषधीय आदि), प्रवाह क्षमता, दक्षता, उत्पादकता, श्रमदक्षता शास्त्र, निवेश पर वापसी, आदि.
43.
दूसरे शब्दों में, बहिर्गामी पृष्ठों द्वारा प्रदान किया जाने वाला पेजरैंक दस्तावेज के स्वयं के पेजरैंक स्कोर और बहिर्गामी लिंक्स की प्रसामान्यीकृत (normalized) संख्या L() के भागफल के बराबर होता है (ऐसा माना जाता है कि विशिष्ट URLs की ओर जाने वाले लिंक्स को प्रत्येक दस्तावेज में केवल एक बार गिना गया है).
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दूसरे शब्दों में, बहिर्गामी पृष्ठों द्वारा प्रदान किया जाने वाला पेजरैंक दस्तावेज के स्वयं के पेजरैंक स्कोर और बहिर्गामी लिंक्स की प्रसामान्यीकृत (normalized) संख्या L() के भागफल के बराबर होता है (ऐसा माना जाता है कि विशिष्ट URLs की ओर जाने वाले लिंक्स को प्रत्येक दस्तावेज में केवल एक बार गिना गया है).
45.
प्रजातियों के बीच रक्ताधान के महत्त्व के संबंध में अटकलों के कारण भेड़ के खून का इस्तेमाल किया गया था, यह सुझाव दिया गया था कि एक सौम्य मेमने से लिया गया रक्त एक उत्तेजित व्यक्ति की तूफानी भावना को शांत कर सकता है और अधिक मिलनसार जीवों से लिए गए रक्त से शर्मीले व्यक्ति को बहिर्गामी बनाया जा सकता है.
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प्रजातियों के बीच रक्ताधान के महत्त्व के संबंध में अटकलों के कारण भेड़ के खून का इस्तेमाल किया गया था, यह सुझाव दिया गया था कि एक सौम्य मेमने से लिया गया रक्त एक उत्तेजित व्यक्ति की तूफानी भावना को शांत कर सकता है और अधिक मिलनसार जीवों से लिए गए रक्त से शर्मीले व्यक्ति को बहिर्गामी बनाया जा सकता है.
47.
ब्रह्माण्डीय पीनल कोड) की धारा 420/1-0 (जिसमे यह स्पष्ट्या आदेशित किया गया है कि उपर्वर्णित दोनो धाराओं के क्रियान्यवन हेतु स्वर्गलोक में स्थापित देवताओं की खण्ड पीठ मानव मस्तिष्क में आवश्यक जीन्स/डीएनए/आरएनए इत्यादि की स्थापना करेगी और सुनिश्चित करेगी कि कोई गलत पीस बहिर्गामी ना हो जाए लेकिन यदि कोई गलत पीस बनता/बहिर्गामी होता है तो पता चलते ही उस पीस को नष्ट किया जाएगा और इसके लिए जिम्मेदार देवता को उसकी स्थिति/रैंक के अनुसार निर्धारित कालावधि हेतु असुर योनि में भेज दिया जाएगा) का उल्लंघन हुआ है।