इस छंटनी का तरीका भी-यानी कि अपने बीच के ही किसी आदमी को हर हालत में घर बिठा देना, इसके लिए चाहे कोई मनचाही नीति काहे न बनाना पड़े, इसी आयातित कारपोरेट कल्चर की देन है।
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खुर्शीद को इस चोरी के लिये सज़ा के तौर पर एक बैसाखी उल्टी कर के उस पर बिठा देना चाहिये और इसके लिये आदेश ज़ारी होना चाहिये सोनिया की तरफ से क्यों की वो खुदको बहुत न्याय-प्रिय बताती हैं. सहमत(61)असहमत(2)बढ़िया(30)आपत्तिजनक
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खुर्शीद को इस चोरी के लिये सज़ा के तौर पर एक बैसाखी उल्टी कर के उस पर बिठा देना चाहिये और इसके लिये आदेश ज़ारी होना चाहिये सोनिया की तरफ से क्यों की वो खुदको बहुत न्याय-प्रिय बताती हैं. सहमत(61)असहमत(2)बढ़िया(30)आपत्तिजनक (
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होना यह चाहिए कि हर क्षत्रप को अपने अपने प्रभाव वाले क्षेत्र में सांसद विधायक की टिकिट देने के लिए फ्री हेण्ड दे देना चाहिए और अगर वे अपने तयशुदा उम्मीदवारों को ना जिता पाएं तो उन्हें घर बिठा देना चाहिए।
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हम अगली पंक्ति मे थे, बड़ा असहज महसूस हो रहा था, जिंदगी भर से जिसको पीछे बैठने की आदत हो और उसे आगे बैठा दिया जाना एक प्रकार से मानसिक आघात देना है जैसे किसी दलित को उठा चारपाई पे बिठा देना.
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जिसे बाद में लोगों ने परंपरा बना डाला! कि न चाहते हुए भी पति की मृत्यु पर पत्नी को संजा कर चिता पर बिठा देना और जलते हुए जीवित शरीर से निकलती चीखों को ढ़ोल-नगाड़ों और सती के जयकारों की गूँज में तब्दील कर देना।
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दुर्घटना घटना असंभव नहीं. परन्तु दुर्घटना में मरने वालों को श्रद्धांजलि, आश्रितों को मुआवज़ा, पुनर्वास, बच्चों की शिक्षा की जगह राजनीति करना, आयोग बिठा देना जो शायद न्याय चाहने वालों के जीवन में अपनी रिपोर्ट देना आयोग की तौहीन समझते हैं.
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इनमें से किसी एक को उठाकर उन्हें किसी पूर्वनिर्धारित सांचे में बिठा देना बौद्धिक बेईमानी के अलावा कुछ नहीं. शमशेर का मूल्यांकन न तो केवल ‘ वाम-वाम दिशा, समय साम्यवादी ' जैसी कविताओं के आधार पर किया जा सकता है न ही ‘ एक पीली शाम, पतझर का ज़रा सा अटका हुआ पत्ता, शांत ' जैसी कविताओं के आधार पर.
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सरकार का निगरानी विभाग लोगों को घूस लेते पकड़ता है और फिर घूस लेकर छोड़ भी देता है कोई फिर करे भी तो क्या करे? होना तो यह चाहिए कि जैसे बिहार सरकार ने कल ६ बीडीओ भ्रष्टाचरण सिद्ध हो जाने पर सीधे बर्खास्त कर दिया वैसे ही सबको बर्खास्त करके घर बिठा देना चाहिए लेकिन करेगा कौन सरकार ही न, मनमोहन तो कड़ाई करने से रहे फिर इन्हें वोट क्यों दें.?
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विशाखापत्तनम मैं है अभी, बहुत कम आ पाता है, चाचा एक बार गाँव के तालाब मैं मुझे तैराकी सिखाने ले गया था, कहता था-भइया भैंस पर मैं बैठ जाता हूँ, पानी के अन्दर रहूँगा, आप डरना मत, बस भैंस की पुँछ पकड़कर रखना, छोड़ना मत, अपने दोस्तों को बता दिया कि जब दीना पानी मैं आ जाय तब, भैंस को पानी मैं बिठा देना, मुझे तैरना नही आता था, कीचड से सन जाता था, सारे दोस्त ठहाका मारकर हँसते थे ।