० किग्रा. प्रति या कार्बोक्सिन (२ ग्राम / किग्रा.) की दर से बीजोपचार करना चाहिए | जिससे बीज जनित रोंगों (अनावृत कण्डुआ, करनाल बंट आदि) की रोक थाम हो जाएगी | यदि मृदा उपचार जैव कवकनाशी से नहीं किया गया हो तो कार्बोक्सिन का प्रयोग संस्तुत दर पर किया जा सकता है | अनावृत कण्डुआ से ग्रसित पौधों को उखाड़कर मिट्टी में दबा दें | पर्णीय उपचार: १. रतुआ (पीला, भूरा, काला) तथा झुलसा रोग के प्रबंध हेतु मैकोजेब का २ छिड़काव २.