| 41. | सफ़र में धूप है, हम हैं, शिकन है, बेरुख़ी भी है / अनिरुद्ध सिन्हा
|
| 42. | मगर जाते हुए ज़माने की विदाई इतनी बेरुख़ी से पहले कभी नहीं हु ई.
|
| 43. | शाम-ए-विसाल भी ये तग़ाफ़ुल ये बेरुख़ी तेरी रज़ा है मुझको मसर्रत कभी ना हो
|
| 44. | मैं जानता हूँ वजह तेरी बेरुख़ी की, अपने फ़ैसलों को मजबूरी का नाम न …
|
| 45. | मैं जानता हूँ वजह तेरी बेरुख़ी की, अपने फ़ैसलों को मजबूरी का नाम न …
|
| 46. | ये अदा-ए-बेनियाज़ी तुझे बेवफ़ा मुबारिक, मगर ऐसी बेरुख़ी क्या कि सलाम तक न पहुँचे ।
|
| 47. | इक तेरी बेरुख़ी से ये हाल हो गया है बेकैफ़ ज़िन्दगी है हर लम्हा बेमज़ा है
|
| 48. | न बेरुख़ी से, न शिष्टता से इस सवाल का सीधा जवाब दे पाता हूँ ।
|
| 49. | बेरुख़ी के साथ सुनाना दर्द-ए-दिल की दास्तां, और तेरा हाथों में वो कंगन घुमाना याद है,
|
| 50. | वो क़हर, वो ग़ज़ब, वो जफ़ा मुझको याद है,वो उसकी बेरुख़ी की अदा मुझको याद है।
|