इसके अतिरिक्त नाक के अन्दर धुंएं जैसा अनुभव होना, नाक से गाढ़े पीला बलगम निकलना, नाक से बार-बार खून आना तथा नथुनों के आस-पास पपड़ीदार फुंसियां होना आदि लक्षणों में रोगी को बैराइटा कार्बोनिका औषधि का सेवन करना लाभदायक होता है।
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बैराइटा कार्बोनिका औषधि का प्रयोग बुढ़ापे के कारण उत्पन्न होने वाले रोगों में तथा अपजननात्मक परिवर्तन (डीजेनरेटीव चैन्ज) शुरू होने पर किया जाता है, चाहे यह परिवर्तन हृदय संबन्धी हो या बाहिकाओं संबन्धी अथवा मस्तिष्क संबन्धी सभी में लाभकारी होता है।
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पुर: स्थ ग्रन्थियां बढ़ने अथवा अण्डकोष का कठोर होना, रोगी को ठण्ड अधिक लगना, पैरों में तेज बदबूदार पसीना आना तथा रोगी में कमजोरी एवं शारीरिक थकान रहना आदि रोगों में बैराइटा कार्बोनिका औषधि का प्रयोग करने से रोग ठीक होता है।
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वी. के रोग का इतिहास हो. ट्यूबरकुलाईनम २००, १५ दिन में एक बारमन्द-बुद्धि बच्चों के लिए बैराइटा कार्ब ३०, दिन में ३ बारबच्चों के कुछ खास मानसिक लक्षण व होम्योपैथिक इलाज (ंएन्टल् श्य्म्प्टोम्स्) बच्चों के खास लक्षणों के अनुसार होम्योपैथिक दवा उनके व्यक्तित्व काविकास करने में सहायता करती है.
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आमाशय रोगग्रस्त होने पर रोगी को ऐसा महसूस होना मानो पेट में कोई पत्थर रखा हो, रोगी को मुंखप्रेशक (वाटरब्रस), हिचकी व डकारें आने पर रोग में आराम व हल्कापन महसूस होता है आदि लक्षण उत्पन्न होने पर रोगी को बैराइटा कार्बोनिका औषधि सेवन कराना चाहिए।
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ऐसे युवक जिन्हें हस्तमैथुन करने की आदत पड़ गई हो तथा वीर्यपात (सेमीनल इमेशन) होने की शिकायत रहती हो साथ ही हृदय क्षोभ (कारकीएक एरीटेबीलिटी) और धड़कन बढ़ने जैसी अवस्था बनी रहती हो तो बैराइटा कार्बोनिका का प्रयोग करने से इस तरह के रोग ठीक हो जाते हैं।
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बच्चे के अतिरिक्त बुढ़ापे में शारीरिक शक्ति कम होने, प्रोस्टेट बढ़ जाना, अंडकोष कठोर होना, सर्दी सहन न कर पाना, कमजोरी व अधिक थकावट रहना, चलने में जल्द थक जाना तथा बुढ़ापे में बच्चों सा व्यवहार करना आदि लक्षणों में भी बैराइटा कार्ब औषधि या सीफिलीनम औषधि की 200 शक्ति की मात्रा का प्रयोग करना लाभकारी होता है।