पीछेवाले हंसों के ये वचन सुनकर आगे वाले हंस हँस पड़े और उच्च स्वर से उनकी बातों की अवहेलना करते हुए बोलेः “ अरे भाई! क्या इस राजा जानश्रुति का तेज ब्रह्मवादी महात्मा रैक्व के तेज से भी अधिक तीव्र है? ”
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उस समय सब लोग ब्रह्मवादी हो जायेंगें (ब्रह्मवाद की आड़ लेकर कर्म भ्रष्ट हो जायेंगें) दूसरी शाखाओं का लोप हो जाने के कारण सभी अपने को वाजसनेयी शाखा का बतलायेंगें और शूद्र अपने से बड़ों के सम्मान में केवल मो (अजी) कहने वाले होंगें ।।
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उस समय सब लोग ब्रह्मवादी हो जायेंगें (ब्रह्मवाद की आड़ लेकर कर्म भ्रष् ट हो जायेंगें) दूसरी शाखाओं का लोप हो जाने के कारण सभी अपने को वाजसनेयी शाखा का बतलायेंगें और शूद्र अपने से बड़ों के सम् मान में केवल मो (अजी) कहने वाले होंगें ।।
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ये ब्रह्मवादी आर्य बाबू सभा-सोसाइटियां बनाते, पुरानी जातीय पंचायतों के विरुद्ध नये जातीय क्लब बनाते, जातीय ‘ समाज ' स्थापित करते, जातीय समस्याओं के सुधारवादी हल लेकर अखबार प्रकाशित करते, बाल-विवाह के विरुद्ध और विधवा-विवाह के पक्ष में लेक्चर देते और लेख लिखते पंडों-पुरोहितों की भी भरपेट खिल्ली उड़ाते तथा विलायत गमन के सिद्धान्त का जोरदार समर्थन करते थे।