| 41. | पिण्ड और ब्रह्माण्ड रूप स्वराट और विराट शरीर
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| 42. | और मैने ‘ अपने ब्रह्माण्ड ' की ।
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| 43. | सीमा अर्थात किसी अन्य ब्रह्माण्ड की परिकल्पना करना।
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| 44. | हमारा ब्रह्माण्ड एक असम्भाव्य, अविश्वसनीय जगह है।
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| 45. | ब्रह्माण्ड लगभग एक सटीक गोले की भांति है,
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| 46. | समस्त ब्रह्माण्ड का स्वामी ब्रह्माण्डनायक परमात्मा ही है।
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| 47. | पिण्ड और ब्रह्माण्ड रूप स्वराट और विराट शरीर
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| 48. | ब्रह्माण्ड की समस्त शक्तियां शिव में समाहित हैं।
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| 49. | इसलिए मैंने यथार्थ ब्रह्माण्ड की परिक्रमा की है।
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| 50. | सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड जल से भर जाता है ।
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