यह सारे शब्द भाववाचक संज्ञा (Abstract Noun) के रूप हैं लेकिन इनमें से कई का प्रयोग क्रिया और विशेषण के रूप में भी होता है.
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कार्पोरेट इन भावनाओं की भाववाचक संज्ञा में आउटसोर्सिंग करके यानी कच्चे माल को अंतिम उत्पाद की शक्ल में जातिवाचक के रुप में समाज के बीच पेश करती है.
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3 भाववाचक संज्ञा: जिस संज्ञा शब्द से पदार्थों के गुण, दोष, धरम, अवस्था, भावादी का बोध होता है, वे भाववाचक संज्ञा कहलाते है
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3 भाववाचक संज्ञा: जिस संज्ञा शब्द से पदार्थों के गुण, दोष, धरम, अवस्था, भावादी का बोध होता है, वे भाववाचक संज्ञा कहलाते है
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३. भाववाचक संज्ञा:-जिस संज्ञा शब्द से किसी के गुण, दोष, दशा, स्वभाव, भाव आदि का बोध होता हो, उसे भाववाचक संज्ञा कहते है ।
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३. भाववाचक संज्ञा:-जिस संज्ञा शब्द से किसी के गुण, दोष, दशा, स्वभाव, भाव आदि का बोध होता हो, उसे भाववाचक संज्ञा कहते है ।
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हमने जाना-जो शब्द किसी व्यक्ति, वस्तु या स्थान के गुण, दोष, दशा (हालत), धर्म, आदत (स्वभाव) या स्थिति कोबतलाएँ उन्हें भाववाचक संज्ञा कहते हैं।
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मैं इसे भाववाचक संज्ञा कहना अधिक पसंद करूगां क्योकि यह एक ऐसा भाव जाग्रत करता है, जिससे मानव जाति का सिर्फ और सिर्फ कल्याण ही हो सकता है, विनाश या हानि तो तनिक भी नहीं.
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मैं इसे भाववाचक संज्ञा कहना अधिक पसंद करूगां क्योकि यह एक ऐसा भाव जाग्रत करता है, जिससे मानव जाति का सिर्फ और सिर्फ कल्याण ही हो सकता है, विनाश या हानि तो तनिक भी नहीं.
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कोई वस्तु या जानवर या वनस्पती या भाववाचक संज्ञा स्त्रीलिंग है या पुल्लिंग, इसका भेद सिर्फ़ रिवाज़ से होता है, जिसे याद करना पड़ता है (कभी-कभी संज्ञा के अन्त-स्वर से भी पता चल जाता है) ।