Arun Srivastava अच्छा है कल्पित कृष्ण जी!!!!!!!!!! कविता क्या, भाव प्रदर्शन है बस बिना किसी कारीगरी के! अधिकतर जगहों पर भाव कुछ बीमार-बीमार से लग रहे हैं! बाकि सब तो ठीके है!
42.
भारतीय विज्ञान कांग्रेस एसोसियेशन की परिषद के सदस् यों ने जब पिछले वर्ष मुझे इस संस् था के शताब् दी वर्ष के समारोह के लिए प्रधान अध् यक्ष चुना, तो मैं उनके इस भाव प्रदर्शन से बहुत प्रभावित हुआ।
43.
शिव-पार्वती की मूर्तियों में अलंकरण व भाव प्रदर्शन की दृष्टि से वह मूर्ति विशेष रूप से उल्लेखनीय है जो एक ही ओर नहीं अपितु दोनों ओर समान रूप से बनाई गई हैं (सं. सं. 30-2084) ।
44.
दूसरी बात यह है कि अपने देश के बुद्धिजीवी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रचार में अपनी देश की शाब्दिक बढ़त दिखाकर अमेरिका तथा चीन के मुकाबले अपने देश को कम गैस उत्सर्जन करने वाला बताकर एक कृत्रिम देश भक्ति का भाव प्रदर्शन कर रहे हैं।
45.
एकार्कामा प्रेम र आदर भाव राखिनु पर्ने बुद्धको शिक्षा प्रचार प्रसार गर्नेहरु नै एकार्कामा अहं भाव प्रदर्शन गर्नु अशोभनीय भएकोले अनेकतामा एकतालाई अंगीकार गर्दै संभब भएसम्म संयुक्त र संगठित रुपमा बुद्ध जयन्ती मनाउनुको सकारात्मक सन्देशतर्फ बौद्ध धर्माबलम्बीहरु सचेत र सजग हुनु नितान्त आबस्यक छ ।
46.
इस राशि के तीसरे भाव में गुरु का गोचर शुरु हुया है, तीसरा भाव प्रदर्शन का कारक भी है इस राशि वाले के लिये यह प्रदर्शन करना अब आसान होगा कि वह जान कार है और सभी शान्ति वाले कारणों को वह अपनी बुद्धि से प्रसारित कर सकता है।
47.
इस समय पाकिस्तान में ज़रदारी की लोकप्रियता ऊंचाइयों को नहीं छू रही है, इसलिए कुछ लोगों का मानना है कि इस तरह के भाव प्रदर्शन से वो बाहरी दुनिया को दिखाना चाहते हैं कि वो जो कुछ भी हों, वो मारी गई पाकिस्तानी नेता के बच्चों के पिता भी हैं.
48.
वो बचपन में कभी जो तितलियाँ पकड़ी थीं बागों में बरस बीते, न अब तक रंग हाथों से उतरता है.. वाह...बस वाह.... कहो मत खोलने मुट्ठी हमारी, देख लो पहले कि कैसे बंद मुट्ठी से यहाँ तूफ़ान रिसता है निःशब्द!!!....सोच रही हूँ क्या कहूँ इसपर जो की उपयुक्त भाव प्रदर्शन कर सके..
49.
अब हो यह रहा है कि अनेक लोग आजादी या आजादी के तत्काल बाद के महान विचारकों के प्रति सम्मान का भाव प्रदर्शन करते हुए उनके विचारों का भी बोझ उठा रहे हैं और यहीं से प्रारंभ हो जाता है प्रतिक्रियात्मक लेखन जो कि किसी भी दशा में साहित्य और भाषा की वृद्धि में सहायक नहीं होता।
50.
अपने वक्तव्य सम्प्रेषण के दौरान हम विभिन्न मुखाकृतियों के द्वारा, हाथ-पैर आदि अंगों के संचालन द्वारा और कभी-कभी तो पूरे शरीर के ही मुद्राप्रदर्शन और गति संचालन द्वारा अपनी बात के मर्म को श्रोता तक पहुँचाने का प्रयास करते हैं, क्या ये भाव-भंगिमाएं किसी नृत्य प्रस्तुति के साथ प्रस्तुत होने वाले भाव प्रदर्शन के समान ही प्रतीत नहीं होती हैं?