देश में जब तमाम सारी अव्यस्थाएं है तो उनके खिलाफ बोलना, आन्दोलन करना, प्रदर्शन करना, भाषण करना आदि लोकतांत्रिक प्रक्रियाएं हैं लेकिन जब राज्य चाहे तो अपने नागरिक का दमन करने के लिए उसको राज्य के विरुद्ध अपराधी मान कर दण्डित करती है।
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देश में जब तमाम सारी अव्यस्थाएं है तो उनके खिलाफ बोलना, आन्दोलन करना, प्रदर्शन करना, भाषण करना आदि लोकतांत्रिक प्रक्रियाएं हैं लेकिन जब राज्य चाहे तो अपने नागरिक का दमन करने के लिए उसको राज्य के विरुद्ध अपराधी मान कर दण्डित करती है।
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ऐसा क्यों होता है कि उनकी शारीरिक भाषा कुछ और कह रही होती है और जुबान कुछ और? भाषण करना एक कला है,विज्ञान भी है.नेताओं को यह कला आनी ही चाहिए.द ग्रेट नेपोलियन की जीत के पीछे कोई चमत्कार का हाथ नहीं होता था बल्कि उसका पत्थर को भी जागृत कर देनेवाला भाषण होता था.
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(मुख्य रूप से बाबा रामदेव ने भी वही किया है जो तमाम कार्पोरेट घराने के लोग करते हैं, इन्होने महत्वपूर्ण यह किया है की अपना सबकुछ ' बालकृष्ण द्विवेदी ' को सौंप दिया है, क्योंकि त्याग पर भाषण करना है यह तभी हो सकता है जब आप सब कुछ ब्रह्मिन को सौंप चुके हों ')
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इनमें शामिल हैं-1 कायिक दोष (बिना दी हुई अननुमत वस्तुओं को हड़पलेना, अविवाहित हिंसा करना तथा परस्त्रियों से अवैध संबंध बनाना 2-वाचिक दोष (कठोर वाणी बोलना, असत्य भाषण करना, चुगलखोरी करना तथा अनर्गल प्रलाप करना), 3-मानसिक दोष (पराये धन का लालच, मन ही मन किसी के विरूद्ध अनिष्ट चिंतन तथा नास्तिक बुद्धि) ।