इस प्रकार पंजाबी भाषा प्राचीन पंजाब की सांस्कृतिक और भाषाशास्त्रीय अंतर्धाराओं का एक सतत भाषा शास्त्रीय इतिहास प्रस्तुत करती है।
42.
महावीर सरन जैन ने बुलन्द शहर एवं खुर्जा तहसीलो की बोलियों का संकालिक दृष्टिकोण से भाषाशास्त्रीय अध्ययन प्रस्तुत किया है.
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इस प्रकार पंजाबी भाषा प्राचीन पंजाब की सांस्कृतिक और भाषाशास्त्रीय अंतर्धाराओं का एक सतत भाषा शास्त्रीय इतिहास प्रस्तुत करती है।
44.
कुछ विद्वान् “डिंगल” और “राजस्थानी” को एक दूसरे का पर्यायवाची मानते हैं, किंतु यह मत भाषाशास्त्रीय दृष्टि से त्रुटिपूर्ण है।
45.
जात्रा, जत्रू, जतरा, जतरू जैसे शब्दों का जाईरीन से अर्थसाम्य ज़रूर है, मगर भाषाशास्त्रीय रिश्ता नहीं है।
46.
जैसा ऊपर कहा गया है, अपने सीमित भाषाशास्त्रीय अर्थ में हिंदी के दो उपरूप माने जाते हैं-पश्चिमी हिंदी और पूर्वी हिंदी।
47.
हिंदी में डॉ. चाटुर्ज्यां की “”राजस्थानी भाषा“” (सूर्यमल्ल भाषणों) के अतिरिक्त राजस्थानी भाषा के विशय में कोई प्रामाणिक भाषाशास्त्रीय कृति उपलब्ध नहीं है।
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अनुसंधान 1961-हिन्दी और मराठी तथा साहित्य का तुलनात्मक अध्ययन 1965-छत्तीसगढ़ी का भाषाशास्त्रीय अध्ययन 1967-आदिम जाति शब्द-संग्रह एवं भाषाशास्त्रीय अध्ययन
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अनुसंधान 1961-हिन्दी और मराठी तथा साहित्य का तुलनात्मक अध्ययन 1965-छत्तीसगढ़ी का भाषाशास्त्रीय अध्ययन 1967-आदिम जाति शब्द-संग्रह एवं भाषाशास्त्रीय अध्ययन
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विद्वान (यहाँ भाषाशास्त्रीय पर जोर है,क्यों की हिंदी भाषा और अन्य भाषाओं के बीच संबंधों पर कोई भी काम अनिवार्य रूप से भाषाशास्त्र का विषय है.