हिन्दी-साहित्य-मन्दिर का वह पुजारी जो जीवन-भर ' भारती' की पूजा-अर्चना में भासमान दीपक जलाता रहा, वह आज असहाय, लाचार, अशक्त, निरुपाय और हतचेत होकर भी इसी चेष्टा में निमग्न है।
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पल में उसके मानसिक चक्षुओं के आगे उसके सारे विगत जीवन के व्यर्थता के दु: खद संस्मरणों की झाँकी चित्रपट पर क्रम से परिवर्तित होनेवाले चित्रों की तरह भासमान होने लगी।
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फिर भी प्रत्यक्ष प्रमाण से प्रतीत अर्थ से वह अर्थ भिन्न है, चाहे वह योगसूत्रकार पतंजलि के कथन के अनुसार विकल्प रूप हो या केवल बुद्ध में भासमान अर्थात् 'बौद्ध' ही हो।
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हिन्दी-साहित्य-मन्दिर का वह पुजारी जो जीवन-भर ' भारती ' की पूजा-अर्चना में भासमान दीपक जलाता रहा, वह आज असहाय, लाचार, अशक्त, निरुपाय और हतचेत होकर भी इसी चेष्टा में निमग्न है।
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फिर भी प्रत्यक्ष प्रमाण से प्रतीत अर्थ से वह अर्थ भिन्न है, चाहे वह योगसूत्रकार पतंजलि के कथन के अनुसार विकल्प रूप हो या केवल बुद्ध में भासमान अर्थात् ' बौद्ध ' ही हो।
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अब ऊपर से बुर्ज के द्वार तो तालों एवं बोल्ट के द्वारा बन्द कर दिये गये हैं, यद्यपि उनकी स्थिति अभी भी भासमान है तथा संग्रहालय के कई चित्रों में उन्हेंस्पष्ट देखा जा सकता है।
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कई कारिकाओं में शब्दतत्व से ही सब अर्थ रूप जगत भासमान होता है, ऐसा सिद्धांत बताया है, तो अगली एक कारिका में 'यह सब विश्व का विस्तार शब्द का ही परिणाम है', ऐसा वेदाभ्यासियों का मत रहा है।
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एक दिन नई सदी में आलोचना की नई आमद की किलकारियों से आलोचना का घर फिर से भासमान होगा और काव्यालोचना की मुश्किलों के अंत की जोरदार शुरुआत देख कर यहाँ से जाने का सुयोग हमें जरूर मिलेगा।
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एक दिन नई सदी में आलोचना की नई आमद की किलकारियों से आलोचना का घर फिर से भासमान होगा और काव्यालोचना की मुश्किलों के अंत की जोरदार शुरुआत देख कर यहाँ से जाने का सुयोग हमें जरूर मिलेगा।
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मंत्र में कर्म-फल-भोक्ता आत्मा तथा ब्रह्म का भासमान भेद लेकर दोनों के स्वरूपत: भिन्न मानते हैं, परंतु अनुवर्ती तथा दूसरे मंत्रों एवं उपसंहारात्मक “ब्रह्मवेद ब्रह्मैव भवति” (3. 1. 2. 3, 3.2.7-9) वाक्य से ब्रह्मात्मैक्य इस उपनिषद् का सिद्धांत निष्पन्न होता है।