एक दिन उस मंदिर में रहने वाले चूहों ने आकर अपने राजा से कहा-‘ हे स्वामी, इस मंदिर का पुजारी रोज रात को बहुत सारे पकवान अपने भिक्षा-पात्र में रखकर खूँटी पर टाँग देता है।
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घड़ा या भिक्षा-पात्र या कमण्डल जिसे साधु थामे हैं, लाल है-सिर्फ इसे ही देखें तब भी यह पाएंगे कि यह सारी चीज़ को जीवित बना देता है-गहरेपन की वजह से जो कि वहां है.
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ऐसा अक्सर होता है तुम्हें कमरे में बैठे-बैठे घुटन-सी महसूस होती है और तुम उठ कर खिड़की की चिटकनी खोल देते हो तुम्हारा समूचा अस्तित्व बाहर को छिटका-सा पड़ता है तुम बाहर की हवाओं के प्रति भिक्षा-पात्र बन जाते हो.
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चिटकनी ऐसा अक्सर होता है तुम्हें कमरे में बैठे-बैठे घुटन-सी महसूस होती है और तुम उठ कर खिड़की की चिटकनी खोल देते हो तुम्हारा समूचा अस्तित्व बाहर को छिटका-सा पड़ता है तुम बाहर की हवाओं के प्रति भिक्षा-पात्र बन जाते हो.