कल की ब्याही हुई है … कैसे इसे जाने दें हम …? इतनी मुश्किलों में तो लाली इसके साथ घुली मिली है | अब इसने बाहर भीतर आना जाना शुरू कर दिया तो सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा | और फिर ज़रा ये तो सोचो कि कि मिश्रा जी को हम क्या जवाब देंगे …? ”
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मित्रों, ज्ञानयोग उस चीज का नाम है, जिसमें कि अपने भीतर चिंतन में जो अवांछनीय तत्त्व घुलते चले जाते हैं, उनको हम हिम्मत के साथ रोकें और जिन चीजों की आवश्यकता है, जो चिंतन हमारे भीतर आना चाहिए उस चिंतन को बुला करके-नियंत्रित करके अपने भीतर स्थिर करें, तो हमारा मस्तिष्क वह हो सकता है जिसे हम ज्ञान का भंडार कह सकते हैं।