उक्त ऋृण राशि का भुगतान 785 /-रूपये की मासिक किश्त के रूप में 36 माह में अदा किया जाना थीं इस पर 14 प्रतिशत वार्षिक (तिमाही रेस्ट के साथ) ब्याज भी देय था और किश्त के भुगतान में चूक होने पर 3 प्रतिशत अतिरिक्त ब्याज भी अदा किया जाना था।
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उक्त ऋृण राशि का भुगतान 853 /-रूपये की मासिक किश्त के रूप में 36 माह में अदा किया जाना थीं इस पर 14 प्रतिशत वार्षिक (तिमाही रेस्ट के साथ) ब्याज भी देय था और किश्त के भुगतान में चूक होने पर 3 प्रतिशत अतिरिक्त ब्याज भी अदा किया जाना था।
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उक्त ऋृण राशि का भुगतान 887 /-रूपये की मासिक किश्त के रूप में 36 माह में अदा किया जाना थीं इस पर 14 प्रतिशत वार्षिक (तिमाही रेस्ट के साथ) ब्याज भी देय था और किश्त के भुगतान में चूक होने पर 3 प्रतिशत अतिरिक्त ब्याज भी अदा किया जाना था।
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एनएसईएल द्वारा भुगतान में चूक से परेशान एनएसईएल इन्वेस्टर फोरम की ओर से 58 निवेशकों ने ईओडब्ल्यू में एक्सचेंज, उसके प्रवर्तकों, बोर्ड के निदेशक जिग्नेश शाह, अमित मुखर्जी और जय बहुखंडी, ऑडिटर मुकेश शाह और 24 अन्य डिफॉल्टर सदस्यों के खिलाफ आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया है।
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उक्त ऋण की गारन्टी प्रतिवादी क्र0-2 द्वारा ली गई थीं तथा इस संबंध में प्रतिवादीगण द्वारा दृष्टिबंधक करारनामा निष्पादित किया गया था जिसके अनुसार उक्त राशि को 36 किश्तों में 853 /-रूपये प्रतिमाह की दर से अदा करना थीं और जिस पर 14 प्रतिशत तिमाही अन्तराल की दर से वार्षिक ब्याज अदा करना थीं तथा किश्तों के भुगतान में चूक होने पर 3 प्रतिशत अतिरिक्त ब्याज भी देना था।
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उक्त ऋृण की गारन्टी प्रतिवादी क्र0-2 द्वारा ली गई थीं तथा इस संबंध में प्रतिवादीगण द्वारा दृष्टिबंधक करारनामा निष्पादित किया गया था जिसके अनुसार उक्त राशि को 36 किश्तों में 1023 /-रूपये प्रतिमाह की दर से अदा करना थीं और जिस पर 14 प्रतिशत तिमाही अन्तराल की दर से वार्षिक ब्याज अदा करना थीं तथा किश्तों के भुगतान में चूक होने पर 3 प्रतिशत अतिरिक्त ब्याज भी देना था।
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उक्त ऋृण की गारन्टी प्रतिवादी क्र0-2 द्वारा ली गई थीं तथा इस संबंध में प्रतिवादीगण द्वारा दृष्टिबंधक करारनामा निष्पादित किया गया था जिसके अनुसार उक्त राशि को 36 किश्तों में 1092 /-रूपये प्रतिमाह की दर से अदा करना थीं और जिस पर 14 प्रतिशत तिमाही अन्तराल की दर से वार्षिक ब्याज अदा करना थीं तथा किश्तों के भुगतान में चूक होने पर 3 प्रतिशत अतिरिक्त ब्याज भी देना था।
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उक्त ऋृण की गारन्टी प्रतिवादी क्र0-2 द्वारा ली गई थीं तथा इस संबंध में प्रतिवादीगण द्वारा दृष्टिबंधक करारनामा निष्पादित किया गया था जिसके अनुसार उक्त राशि को 36 किश्तों में 1200 /-रूपये प्रतिमाह की दर से अदा करना थीं और जिस पर 14 प्रतिशत तिमाही अन्तराल की दर से वार्षिक ब्याज अदा करना थीं तथा किश्तों के भुगतान में चूक होने पर 3 प्रतिशत अतिरिक्त ब्याज भी देना था।
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उक्त ऋृण की गारन्टी प्रतिवादी क्र0-2 द्वारा ली गई थीं तथा इस संबंध में प्रतिवादीगण द्वारा दृष्टिबंधक करारनामा निष्पादित किया गया था जिसके अनुसार उक्त राशि को 36 किश्तों में 1296 /-रूपये प्रतिमाह की दर से अदा करना थीं और जिस पर 14 प्रतिशत तिमाही अन्तराल की दर से वार्षिक ब्याज अदा करना थीं तथा किश्तों के भुगतान में चूक होने पर 3 प्रतिशत अतिरिक्त ब्याज भी देना था।
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उक्त ऋृण की गारन्टी प्रतिवादी क्र0-2 द्वारा ली गई थीं तथा इस संबंध में प्रतिवादीगण द्वारा दृष्टिबंधक करारनामा निष्पादित किया गया था जिसके अनुसार उक्त राशि को 36 किश्तों में 1300 /-रूपये प्रतिमाह की दर से अदा करना थीं और जिस पर 14 प्रतिशत तिमाही अन्तराल की दर से वार्षिक ब्याज अदा करना थीं तथा किश्तों के भुगतान में चूक होने पर 3 प्रतिशत अतिरिक्त ब्याज भी देना था।