जैसे कुत्ते की दुम टेढ़ी की टेढ़ी, ऊँट के मुँह में जीरा, कुत्ता भौंके हाथी अपनी चाल चले, भैंस के आगे बीन बजाना, धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का, बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद, आ बैल मुझे मार, छुछुन्दर के सिर में चमेली का तेल इत्यादि।
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भैंस इस बात पर भी गुस्से का इज़हार करती है कि उसका उपयोग हिन्दी कहावतों तथा मुहावरों में करके उसे बदनाम करने की साजिश रची गई है जैसे “ भैंस के आगे बीन बजाना ' में उसे ऐसा माना गया है जैसे बह बहरी हो तथा संगीत से नफरत करती हो जबकि यदा कदा वह भी अपने मुख से अनेक कठिन ताने निकालती रहती है।