हिंदी में सुलाने, भुलाने और भ्रमि त करने वाले लेखक बहुत हैं, लेकि न आलोचना के लि ए, बोलने के लि ए उदबुद्ध करने वाले अकेले नामवर सिंह हैं।
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इस प्रकार सौ रुपये जेब के और अनगिनत रुपये अपने मन की ताकत के लिए हंसराज एक अपनी नवव्याहता पत्नी के साथ सड़क पर थे-पूर्णतः असहाय, परेशानहाल और भ्रमि त.
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इसके अतिरिक्त भ्रमि वेग w बढ़ाकर भी घूर्णक्षस्थापी के कोणीय संवेग में बहुत अधिक सीमा तक वृद्धि की जा सकती है इससे घूर्णक्षस्थापी पर किसी अल्पायु बाह्य बलयुग्म का प्रभाव नहीं पड़ सकता।
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संत कबीरदास जी के अनुसार-माया दीपक नर पतंग, भ्रमि भ्रमि इवैं पड़ंतकह कबीर गुरु ग्यान तैं, एक आध उमरन्तइसका आशय यह है कि मनुष्य एक पंतगे की तरह माया रूपी दीपक के प्रति आकर्षण में भ्रमित रहता है।
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संत कबीरदास जी के अनुसार-माया दीपक नर पतंग, भ्रमि भ्रमि इवैं पड़ंतकह कबीर गुरु ग्यान तैं, एक आध उमरन्तइसका आशय यह है कि मनुष्य एक पंतगे की तरह माया रूपी दीपक के प्रति आकर्षण में भ्रमित रहता है।
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अब जबकि प्रति उत् तर न पाकर दि ग् भ्रमि त होकर वो कातर आवाज वि लीन हो गर्इ अनंत में और जो मुझ तक आ रही है वो तुम् हारी नरम और प् यारी ध् वनि नहीं एक ज् वालामुखी है
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किसी पिंड पर जब कोई बलयुग्म कार्य करता है, तब उस पिंड में बलयुग्म (couple) के अक्ष के चारों ओर एक कोणीय संवेग उत्पन्न हो जाता है, जिसके कारण पिंड में उस अक्ष के चारों और भ्रमि करने की प्रवृत्ति उत्पन्न हो जाती है।
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मुंह पर तो भले कुछ ना कहें लेकि न कि सी बहाने से आपके घर पहुंच जाएंगी और आपके घरवालों को तरह-तरह के कि स् से सुनाकर इतना भ्रमि त कर देंगी कि एक बार को घरवाले भी सूट पहनने की सलाह दे ही देगें।
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यह सुनि कुंवरि हरष मन कीन्हों मिटि गई अंतरबाधा॥जननी निरखि चकित रहि ठाढ़ी दंपति रूप अगाधा॥देखति भाव दुहुंनि को सोई जो चित करि अवराधा॥संग खेलत दोउ झगरन लागे सोभा बढ़ी अगाधा॥मनहुं तडि़त घन इंदु तरनि ह्वै बाल करत रस साधा॥निरखत बिधि भ्रमि भूलि पर्यौ तब मन मन करत समाधा॥सूरदास प्रभु और रच्यो बिधि सोच भयो तन दाधा॥ अर्थ.....
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लेकिन समृद्धि प्रचारकों “ अरे तुम विश्वास नहीं है और है कि आप ” ठीक नहीं कर रहे हैं इस कारण था जैसे बयानों की निंदा करने, आओ और खुले मंच है कि आप यीशु के धारियों ने भी आप अभी भी बीमार हैं चंगा में स्वीकार कर रहे हैं, अगर आपको लगता है कि आप अभी भी तो तुम भावनाओं से, निर्दोष तो आदि चल रहे हैं बीमार हैं स्वीकार करने के लिए संकोच खासकर नए धर्मान्तरित विश्वासियों इसलिए कर रहे हैं उन्हें कमान के अपने अभिमानी तरह से भ्रमि त.